Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/news1admin/htdocs/news1india.in/wp-content/plugins/jnews-amp/include/class/class-init.php on line 427

Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/news1admin/htdocs/news1india.in/wp-content/plugins/jnews-amp/include/class/class-init.php on line 428
रिजिजू के लेख पर कांग्रेस का पलटवार, कहा- 'नेहरू को दोषी ठहराने वाले नर्सरी

रिजिजू के लेख पर कांग्रेस का पलटवार, कहा- ‘नेहरू को दोषी ठहराने वाले नर्सरी के इन छात्रों को इतिहास की Class लगाने की जरूरत’

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को एक बाद एक चार ट्वीट किए। जिनमें उन्होंने पूर्व पीएम जवाहर लाल नहेरू पर जमकर हमला बोला। उन्होंने नेहरू की पांच गलतियों का गिनवाते हुए कहा कि देश सात दशक तक इनकी सजा भुगता रहा। लेकिन 2019 में इतिहास में नया मोड लिया। पीएम मोदी ने 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाकर उनकी गलती में सुधार किया। इसके साथ भारत के सभी क्षेत्रों का एकीकरण पूर्ण हुआ। 27 अक्टूबर 1947 को कश्मीर को भारत में विलय करने के लिए समझौते किया गया। इसके 75 वर्ष पूरे होने पर रिजिजू ने कहा कि “सात दशक से यह ऐतिहासिक झूठ फैलाया गया कि कश्मीर उन रियासतों में था जिन्हें देश से जुड़ने में समस्या थी” 

नहेरू के ऐतिहासिक झूठ को सच बना दिया


1. 560 के करीब रियासतों में केवल हैदराबाद और जूनागढ़ को लेकर कुछ समस्या हुई थी। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने तो जुलाई 1947 में खुद ही भारत में विलय के लिए देश के नेताओं से संपर्क किया। यह ऐतिहासिक झूठ है कि महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के सवाल को टाल दिया था।

जबकि जुलाई 1947 में नेहरू ने हरि सिंह और नेशनल कॉन्फ्रेंस को सलाह दी कि कश्मीर एक विशेष मामला है इसलिए जल्दबाजी सही नहीं। कश्मीर मुद्दे में नेहरू की संदिग्ध भूमिका को छिपाने के लिए ये झूठ लंबे समय से चला आ रहा है।

.लेकिन जब विलय हुआ तो नेहरू ने अस्थाई घोषित करवा दिया। नेहरू 1 जनवरी 1948 को आर्टिकल 35 के तहत संयुक्त राष्ट्र गए। आर्टिकल 35 विवादित जमीन के लिए था, जबकि नेहरू को पाकिस्तान द्वारा अवैध कब्जे को लेकर आर्टिकल 51 के तहत संयुक्त राष्ट्र में अपनी बात रखनी थी। क्योंकि अनुच्छेद 35 विवादित जमीन के लिए बना था। जबकि अनुच्छेद 51 देश की जमीन पर गैर कानूनी विदेशी कब्जे को लेकर था।

कश्मीर का मुद्दा अनुच्छेद 35 के तहत उठाया

. 27 अक्तूबर 1947 को विलय पत्र पर हरि सिंह हस्ताक्षर कर दिए थे। नेहरू को कश्मीर का मामला अनुच्छेद 51 के तहत उठाना था ना अनुच्छेद 35 के तहत

ये भ्रांति फैलाई गई कि यूएन का जनमत संग्रह का आदेश भारत रोक रहा है। जबकि जनमत संग्रह की शर्त युद्धविराम के साथ पाकिस्तानी सैनिकों की वापसी थी। क्योंकि पाकिस्तान के सैनिक की वापसी ना होने के कारण जनमत संग्रह संभव ही नहीं था। 

लेकिन नेहरू और उनके अधिकारियों के पास उनके सवाल का कोई जवाब नहीं था। इसके बाद भी ये नीति बनी और अलगाववादी मानसिकता भारत के गले का फांसी का फंदा बन गया।

पाकिस्तान के हमले से भी नेहरू को फर्क नहीं पड़ा

किरण रिजिजू के वार पर कांग्रेस ने पलटवार

कांग्रेस ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं को समकालीन इतिहास के बारे में कुछ नहीं पता है तो नेहरू या किसी अन्य प्रधानमंत्री को दोषी ठहराने के बजाय उन्हें बात का हिसाब देना चाहिए कि उनके शासन में क्या हुआ है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक एक ट्वीट को शेयर करते हुए कहा कि किरण रिजिजू और उनके जैसे छद्म इतिहासकारों को इसे पढ़ना चाहिए। वहीं पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि वाट्सएप नर्सरी के इन छात्रों को इतिहास की कक्षाओं में फिर जाने की जरूरत है।

जवाब जानकर हमें खुशी होगी

उन्होंने कहा कि ‘वे जो कुछ कह रहे हैं अगर वो सब सच है तो कैसे मनमोहन सिंह के कार्यकाल में लक्ष्य बनाकर हत्याएं रुक गई। कैसे 75 प्रतिशत लोगों ने राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में ने हिस्सेदारी की। इसका जवाब दें हमें जानकर खुशी होगी।’

खेड़ा ने कहा कि इनके लिए किसी को जिम्मेदार ठहराना बेहद आसान है। लेकिन ‘हमें जवाब दीजिए। आप आठ वर्ष से सत्ता में हैं तो इन वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आपकी उपलब्धि क्या है उसके बारे में बताए। आप कश्मीर में चुनाव नहीं करवा सकते। यहां तक कि कश्मीरी पंडितों की रक्षा नहीं कर सकते। तो क्या है आपकी उपलब्धि। 1989 में जो कुछ हुआ और अब जो कुछ हुआ उसके लिए आपको माफी मांगनी चाहिए।’

बड़ी-बड़ी बातें करने वालें सत्ता का सुख भोग रहें

वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कश्मीरी पंडितों के मुद्दे को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘इस साल कश्मीर में 30 लक्षित हत्याएं हुई हैं और कश्मीरी पंडितों का पलायन तेजी से बढ़ रहा है। सत्ता में आने से पहले बड़ी-बड़ी बातें करते थे। आज वही प्रधानमंत्री सत्ता का सुख भोग रहे हैं जबकि कश्मीर पंडित अपने ही देश में शरणार्थी बन गए है।

Exit mobile version