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शुआट्स कुलपति समेत 11 के खिलाफ एफआईआर, वित्तीय गड़बड़ी के आरोप में दर्ज हुआ मुकदमा

Prayagraj: शुआट्स कुलपति समेत 11 के खिलाफ एफआईआर, वित्तीय गड़बड़ी के आरोप में दर्ज हुआ मुकदमा

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की शुआट्स यूनिवर्सिटी के कुलपति समेत 11 लोगों पर FIR दर्ज की गई है। यूपी एसटीएफ से प्रयागराज के नैनी थाने में 5.5 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता और गलत नियुक्ति करने के मामले में ये केस दर्ज किया गया है। बता दें कि पहली FIR में फर्जी बिल से भुगतान कर 5.5 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का मामला दर्ज किया जबकि दूसरी FIR में अवैध तरीके से 69 प्रोफेसर, असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति में गड़बड़ी की बात है। इसमें यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति जेए ओलिवर, व कुलपति डॉक्टर आरबी लाल, तत्कालीन रजिस्टरार अजय लॉरेंस, प्रति कुलपति सुनील बी लाल समेत 11 लोग नामजद हैं।

बता दें कि अभी इस मामले में प्रतिकुलपति डॉं. सर्वजीत हर्बट और कार्यलय अधीक्षक अशोक सिंह हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। कुछ साल पहले दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने शुआट्स के पदाधिकारियों के खिलाफ तमाम शिकायतें की थी। इसके साथ ही कमिश्नर प्रयागराज को भी ये शिकायतें की गई थी। कमिशनर ने निधि लेखा परिक्षा विभाग से जांच कराई है। STF जांच कर रही थी कि निधि लेखा परिक्षा विभाग ने जांच पूरी कर कमिश्नर को आख्या दे दी। यह आख्या STF को मुहैया कराई गई है। STF भी अपनी जांच में कमोवेश उसी नतीजे पर पहुंची। निधि लेखा परिक्षा विभाग की आख्या के आधार पर बृहस्पतिवार को डिप्टी एसपी नवेंदु सिंह ने नैनी थाने में दो एफआईआर दर्ज कराई।

पहली FIR करीब साढ़े पांच करोड़ वित्तीय अनियमितता की

बता दें कि पहली एफआईआर करीब साढ़े पांच करोड़ वित्तीय अनियमितता की है। इसमें प्रसार योजना, प्रशिक्षण वेतन भत्ता, यात्रा व्यय, वेतन वृद्धि, निविदा के विपरित फर्माें, अवेैधनियुक्ताओं को वेतन भत्ते आदि के भुगतान में पांच करोड़, 56 लाख, 57 हजार 592 रुपये अवैध और अनियमित ढंग से खर्च किए जाने के आरोप हैं। बताया गया है कि तमाम स्थानों पर गलत दस्तावेजों को लगाया गया।

दूसरी FIR संस्थान में 1984 से लेकर 2017 तक कुल 69 प्रोफेसर

वहीं दूसरी एफआईआर संस्थान में 1984 से लेकर 2017 तक कुल 69 प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की अवैध नियुक्ति की है। इन नियुक्तियों में अनिवार्य योग्यता का पालन ना करने, पदों का विज्ञापन गो प्रख्यात समाचार पत्रों में न करने, विज्ञापन की अवधि का मापदंड स्थापित न करने और बिना आवेदन के चयन को अंतिम रूप दिए जाने को लेकर दर्ज कराई गई है। नियुक्तियों में तमाम कूटरचित अभिलेखों को लगाया गया है। दोनों ही एफआईआर में 11 लोगों को नामजद किया गया है।

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