वन विभाग जल्द ही बनाने वाले है झरने-तालाब वाले जंगल। जहां पहले 1970-75 तक राजस्थान के 21 जिलो के जंगलों में टाइगर की दहाड़ सुनाई देती थी अब वह पिर से सुनाई देने वाली है। जी हां बता दें कि वन विभाग उस दौर को फिर दोहराएगा। जल्द ही राजस्थान के 10 से ज्यादा जिलों में टाइगर की दहाड़ सुनाई देगी। इसके लिए उन जिलों में जंगल बसाए जाएंगे, जहां 50 साल पहले तक टाइगर थे। वहीं अब इसकी शुरूआत भी हो चुंकी है।
बता दें कि धौलपुर के जंगलों को हाल ही केंद्र सरकार ने टाइगर सेंचुरी के लिए प्रारम्भिक मंजूरी दे दी है। नेशनल टाइगर कन्जर्वेंशन अथोरिटी ने इस मंजूरी के बारे में वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल को सूचना भेज दी है। वहीं धौलपुर के बाद अगला नम्बर कुम्भलगढ़ के जंगलों का हैं, जिसे टाइगर सेंचुरी के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जल्द ही मिल सकती है। वर्तमान में राजस्थान में रणथम्भौर, मुकुंदेरा, विषधारी, सरिस्का के जंगलों में टाइगर देखे दा रहे हैं। वहीं फिलहाल टाइगर इन्हीं चार जंगलों में दिखाई देते हैं।
टाइगर का पांचवां घर (जंगल) धौलपुर-करौली और छठा घर राजसमंद के जंगलों में बनेगा। प्रदेश के हैड ऑफ फॉरेस्ट (हॉफ) डीएन पांडेय का कहना है कि टाइगर के लिए जंगल में भोजन-पानी का होना बहुत जरूरी है। रिवाइल्डिंग प्रोजेक्ट के तहत हम प्रदेश के जंगलों में यह कोशिश कर रहे हैं कि उनकी उन सब खूबियों को वापस लौटाया जाए, जिसके लिए जंगल जाने जाते हैं।
टाइगर को राजस्थान के उन सभी जिलों में पुन: बसाया जाए- एक्सपर्ट
केंद्र सरकार की नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथोरिटी के प्रतिनिधि और राजस्थान वन्यजीव संरक्षण बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य दौलत सिंह शक्तावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राजस्थान के 15 से 20 जिलों में आजादी के समय टाइगर मौजूद थे। आज फिर से ऐसा प्रयास हो रहा है कि टाइगर को राजस्थान के उन सभी जिलों में पुन: बसाया जाए जहां वो परम्परागतरुप से रहता आया है। यह जंगल और पर्यावरण के लिए सबसे बड़ कदम है। एक ही परेशानी सबसे बड़ी है वो है टाइगर के लिए प्रयाप्त भोजन आर पानी की व्यवस्था
वहीं इसके लिए सरकारी और विभाग के स्तर पर कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए। पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक रविंद्र सिंह तोमर (कोटा) ने भास्कर को बताया कि टाइगर जहां होता है, वहां जंगल भी सुरक्षित रहता है और सरकारी प्रोजेक्ट्स पर पैसे का निवेश भी खूब होता है। ऐसे में टाइगर अपने पीछे-पीछे करोड़ों रुपयों के रोजगार के अवसर हजारों लोगों के लिए लेकर आता है। राजस्थान में आज चार वन क्षेत्रों में टाइगर है, अगर यह 10-12 जगहों पर हो जाए तो हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।