उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव का मामला अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट में जा पहुंचा है। ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। बता दें कि उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। भू- धंसाव ने क्षेत्र के सभी वार्डों को चपेट में ले लिया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पीएमओ लगातार मामले की निगरानी कर रहे हैं।
प्रभावितों से पुष्कर सिंह धामी ने कि बातचीत
वहीं स्थिति को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार शाम उच्च स्तरीय बैठक की। वह शनिवार को जोशीमठ का जायाजा लेने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने यहां प्रभावितों से बातचीत की। कहा कि प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना उनकी पहली प्राथमिकता है। गेटवे ऑफ हिमालय के नाम से मशहूर जोशीमठ भू-धंसाव के कठिन दौर से गुजर रहा है। दिसंबर के महिने में क्षेत्र में कई जगहों पर भू-धंसाव की घटनांए आई थीं। शहर के मनोहर बाग वार्ड, गांधी वार्ड और सिंधार वार्ड में लोगों ने घरों में दरार आने की बातें कही थी।
खेतों में बड़ी- बड़ी दरारें
नगर क्षेत्र में भू-धंसाव से मकानों के साथ कृषि क्षूमि के भी प्रभावित होने की घटनाएं आई। यहां खेतों में बड़ी- बड़ी दरारें और कई जगहों पर तो खेतों की दरारें एक फीट तक चौड़ी हो गई। इन घटनाओं के बाद प्रशासन भी हरकत में आया और चमोली जिला प्रशासन की ओर से संयुक्त टीम गठित की गई। टीम ने दो दिनों तक नगर में भू-धंसाव से प्रभावित मकानों के सर्वे किया। तहसील प्रशासन , नगर पालिका, आपदा प्रबंधन और एसडीआरएफ की संयुक्त टीम ने घर-घर जाकर बारीकी से निरीक्षण किया। जोशीमठ नगर में करीब दो हजार मकान हैं। रविवार तक भू-धंसाव से 581 मकानों में दरारें आ चुकी थीं।