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मायावती का फैसला बदल देगा सपा और कांग्रेस का पूरा खेल

UP Politics: मायावती का ये फैसला बदल देगा सपा और कांग्रेस का पूरा खेल, BJP के लिए भी टेंशन

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले सबके मन में एक सवाल जरूर गूंज रहा है और वो ये कि कौन किसके साथ गठबंधन कर रहा है, कया मायावती किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने वाली है और अगर हां तो वो कौन सी पार्टी होगी?। ये खबर में ही आप जान सकेंगे अपने सभी सवालों का जवाब…

देखिए एक तरफ जहां लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पहले से ही जहां गठबंधन बनाने की कवायद शुरू हो गई है तो वहीं कई दल एक मंच पर साथ आने को तैयार हैं तो वहीं अगर बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां स्थिती इसके बिल्कुल विपरीत है। बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पर्टी और कांग्रेस के किलाप बिगुल फूंक रखा हैं। उधर सपा मुखिया अखिलेश यादव भी कई मौकों पर संकेत दे चुके हैं अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन हुआ तो उसे राज्य में कुछ सीटें ही दी जाएंगी।

वहीं दावा किया जा रहा है कि राज्य में कांग्रेस का जनाधार सिमट चुका है। अब यह देखना होगा की भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बनने वाले गठबंधन में कांग्रेस कितनी कुर्बानी देने को तैयार है। हालांकि ऐसा नहीं है कि यूपी में सिर्फ सपा और गठबंधन से ही बात बन जाएगी। वहीं अगर बात कें साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के परिणाम की तो उसमें एक बात तो साफ है, और वो ये कि राज्य में बिना बसपा के कोई गठबंधन अपना पूर्ण आकार लेता नहीं दिख रहा। यह बात सच है कि बीते तीनो बार से बसपा को विधानसभा चुनाव में साल 2014 के बाद से लोकसभा चुनावों में भी मुंह की खानी पड़ी है लेकिन यह भी साफ है कि पार्टी का अपना वोट बैंक है। साल 2019 में जब राष्ट्रीय लोकदल सपा के साथ बसपा ने गठबंधन किए तो सिर्फ 19.43 फीसदी मतों पर ही पार्टी के 10 सांसद जीत गए।

वैसे तो मिली जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि राज्य में 20 फीसदी आबादी दलितों की हैं। वहीं 18 फीसदी मुस्लिम हैं। ऐसा माना जाता है कि बसपा के दलित वोट बैंक में बीजेपी ने सेंध लगा दी है। वहीं मुस्लिमों के वोट पर सपा और बसपा का हिस्सा साझा है। ऐसे में यह साप है कि बिना बसपा के राज्य में कोई गठबंधन कारगर नहीं हो सकता है।

मायावती का गठबंधन करेन का कोई मूड नहीं

इन सबके बीच मायावती के कुछ फैसलों से यह संकेत मिल रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किसी संभावित गठबंधन का वह और उनकी पार्टी हिस्सा नहीं होगी. चाहे नई संसद के उद्घाटन का फैसला हो या हाल ही में विधान परिषद की सीटों पर हुए उपचुनाव को लेकर सपा पर आरोप लगाने की बात, दोनों ही मुद्दों पर ही बसपा की प्रतिक्रिया से यह संकेत मिल रहे हैं कि वह गठबंधन में शामिल होने के लिए इच्छुक नहीं है।

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