नई दिल्ली सरकार एयरपोर्ट से लेकर तमाम सरकारी संपत्तियों का निजीकरण कर रही है। यहां तक मजदूर भी निजीकरण की बली चढ़ रहे है। जितनी तेजी से सरकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है ऐसे में लग रहा है एक समय होगा जब शायद ही सरकारी नौकरी का टैग किसी के नसीब में होगा। ताजा मामला रेलवे विभाग से आया है। रेलवे में भी बहुत सी चीजों को प्राइवेट कर दिया गया है। लेकिन हाल में पता लगा है कि टिकट पूछताछ काउंटर भी प्राइवेट हो जाएगा। अब टिकट काउंटर में पूछताछ का टेंडर एजेंटों को दे दिया गया है। वाराणसी में स्थित पूर्वोतत्तर रेलवे के स्टेशनों पर टेंडर जारी कर दिया गया है। जल्द ही कर्मचारियों की तैनाती भी कर दी जाएगी।
रेलवे कर्मचारी भी बनेंगे ‘अग्निवीर’
वहीं लखनऊ मंडल के रेलवे 9 स्टेशन पर लगेज और पूछताछ कांउटर को प्राइवेट कर दिया गया है। यहां पर प्राइवेट कर्मचारियों को रखा जाएगा। जिनका कार्यकाल मात्र तीन साल का ही होगा। तीन साल बाद रेल डिपार्टमेंट इसे फिर से नवीनीकृत करेगा। इसमें पहले चरण में काम शुरू हो गया है। इस कार्य को अभी छोटे स्टेशनों पर किया जा रहा है। क्योंकि बहुत से रेलवे स्टेशनों पर कर्मचारी तैनात है। यही नहीं रेलवे प्रशासन स्टेशन के परिचालन और अन्य कुछ अहम पदों को छोड़कर बाकी सब जैसे साप सफाई और बहुत से कार्य करने के लिए आउटसोर्स को जगह दे रहा है ताकि खर्चें कम से कम हो। हालांकि उनके इस कदम से रेलवे के इस कदम से यूनियन द्वार विरोध होने लगा है।
सॉफ्टवेयर कि सहायता से दी जाएगी टिकट
जानकारी के मुताबिक जितने भी यात्री ट्रेन में सफर करेंगे उनको टिकट रेलवे के सॉफ्टवेयर कि सहायता से दी जाएगी। वह कंपनी भी निजी ही होगी। वहीं जिन एजेंटों को यह टेंडर मिलेगा उनको टिकट की बुकिंद होगी उसके हिसाब से कमीशन दिया जाएगा। यह कार्य सलेमपुर, एकमा, पडरोना, कप्तानगंज, औडियार, रामनाथपुर तथा भाटपार के रेलवे स्टेशनों पर होगा। इन जगहों पर प्राइवेट कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी
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