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रामचरितमानस की प्रतियां जलाने पर धीरेंद्र शास्त्री का बड़ा बयान, कहा- सनातनियों टारगेट करने के लिए प्लांट किए लोग, हमें एकजुट होने की जरुरत

रामचरितमानस की प्रतियां जलाने पर धीरेंद्र शास्त्री का बड़ा बयान, कहा- सनातनियों को टारगेट करने के लिए प्लांट किए लोग, हमें एकजुट होने की जरुरत

रामचरितमानस विवाद गहराता जा रहा है जहां पर लगातार बयान बाजी हो रही हैं। अब इस विवाद पर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि सनातनियों को टारगेट करने के लिए कुछ प्लांटेड लोग काम कर रहे हैं। उनकी तरफ से अपील की गई है कि ये सही वक्त है जब सारी सभी सनातनियों को एकजुट होना होगा।

बता दें कि धीरेंद्र शास्त्री ने मीडिया कर्मी से बातचीत करते हुए कहा कि रामचरितमानस की प्रतियों को जलाना घोर निंदनीय है। हिंदुओं को टारगेट करना, हिंदू आस्था को टारगेट करना, सनातनियों को टारगेट करना ये एक बहुत बड़ी लॉबी है जो ये सब कर रही है। ये प्लांटेड लोग हैं जिन्हें ऐसा करने के लिए कहा गया है, लेकिन मुझे खुशी है कि बागेश्वर धाम से ये संदेश गया है कि सनातनियों को एकजुट होने की जरुरत हैं। वहीं धीरेंद्र शास्त्री की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान का बी स्वागत किया गया है जहां पर उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म ही राष्ट्र धर्म है। उनकी तरफ से बताया गया है कि हर सनातनी इस समय एकजुट हो रहा है, हिंदू राष्ट्र के लिए लगातार काम कर रहा है। इसका बड़ा कारण स्वामी प्रसाद मौर्य है जिनके एक बयान ने इस विवाद को बढ़ा दिया है। उस बयान के बाद रविवार को लखनऊ में ओबीसी महासभा द्वारा रामचरितमानस की प्रतियां जला दी गई थीं. उसमें 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

जानिए कहां से शुरु हुआ ये विवाद

सपा के राष्ट्रीय महासचिव और एमलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की चौपाइयों को लेकर कई सवाल किए थे। उन्ही के बयान के बाद लखनऊ में धार्मिक ग्रंथ की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्श किया गया। दरअसल, मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है, स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा था- सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से आपत्तिजनक अंशों को बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है, क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की एक चौपाई है, जिसमें इसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.

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