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शांति भूषण ने 97 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, PM के चुनाव को रद्द

शांति भूषण ने 97 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, PM के चुनाव को रद्द करवाया, इंदिरा गांधी को ऐसे दी टक्कर

देश के पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण का 97 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने नोएडा में अंतिम सांस ली। शांति भूषण पिछले कुछ दिनों से काफी बीमार थे। शांति भूषण का नाम देश के सबसे बड़े वकीलों की लिस्ट में रहा है। उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ उस केस की पैरवी की थी, जिसमें उनका चुनाव शून्य हो गया था। इस केस में मिली हार के बाद इंदिरा गांधी ने पूरे देश में इमरजेंसी लागू कर दी।

इंदिरा गांधी की जीत को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती

दरअसल 1971 में 5वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए थे। इन चुनाव से पहले कांग्रेस दो भागों में टूट गई थी। जिसमें से इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी को लोकसभा की 545 सीटों में से 352 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि विरोधी गुट वाली कांग्रेस पार्टी सिर्फ 16 सीटें जीत पाई। इन चुनाव के दौरान इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था। 

इस चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ी थीं। उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनरायण को मात दी थी। लेकिन राजनरायण अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे इसलिए उन्होंने इंदिरा गांधी की जीत को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे डाली। इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण केस में राजनरायण की पैरवी शांति भूषण ने की थी।

इंदिरा गांधी पर लगे थे 7 आरोप

उस समय राजनरायण ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी और संसाधनों का गलत इस्तेमाल किया है। इसलिए उनका चुनाव निरस्त किया जाए। राजनरायण ने कुल 7 आरोप इंदिरा पर खिलाफ लगाए गए थे। तो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कोर्ट में पेश होना पड़ा। बता दें कि यह देश में पहला मौका था, जब प्रधानमंत्री किसी केस में कोर्ट में पेश हुआ हो। इंदिरा गांधी ने कोर्ट में कई घंटों तक अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब दिया।

PM के चुनाव को रद्द करवाया

12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा द्वारा केस पर फैसला सुनाया गया। जिसमें उन्होंने 7 में से 5 आरोपों में इंदिरा को राहत दी। लेकिन दो मुद्दों में इंदिरा गांधी को दोषी करार किया गया और कोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया। इसके अलावा जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत इंदिरा गांधी को अगले छह सालों तक लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहरा दिया गया। जस्टिस सिन्हा ने अपने आदेश में कहा कि इंदिरा गांधी ने अपने चुनाव में सरकार के अधिकारियों और सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया है।

इंदिरा गांधी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची

इसके बाद इंदिरा गांधी इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जहां उनकी पैरवी पालखीवाला ने की। वहीं राजनरायण की ओर से शांति भूषण ने पक्ष रखा। 24 जून, 1975 को जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर आंशिक स्थगन आदेश दिया। फैसले के अनुसार इंदिरा गांधी संसद की कार्यवाही में भाग तो ले सकती हैं परंतु वोट नहीं दे सकती। लेकिन इस फैसले के खिलाफ विपक्ष ने इंदिरा गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और 25 जून को दिल्ली में जयप्रकाश नारायण ने रामलीला मैदान में रैली की। जिसके बाद इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल का ऐलान कर दिया।

भूषण कानून मंत्री बने

आपातकाल खत्म होने के बाद जनता पार्टी की सरकार बनी तो वह जनता पार्टी में शामिल हो गए। वह कानून मंत्री बनाया गया। वह राज्यसभा सांसद बने और 1977 से 1979 तक कानून मंत्री रहे। शांति फिर साल 1980 में बीजेपी में शामिल हुए। परंतु 1986 में जब बीजेपी ने एक चुनाव याचिका पर उनकी सलाह नहीं मानी तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

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