रामचरित मानस को बैन कर देना चाहिए, ‘धर्म के नाम पर पिछड़ों और दलितों को गाली क्यों?’ ये शब्द हैं समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी विधान परिषद के सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य का। रामचरित मानस को लेकर हाल ही में बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने एक टिप्पणी की जिस पर खूब बवाल हुआ है। वहीं अब उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामायण पर विवादित टिप्पणी कर दी है। उन्होंने रामायण को बैन करने की मांग की है और कहा है कि जो भी विवादित चीजें इस ग्रंथ में संकलित हैं, उनको निकाला जाना चाहिए। इसके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस को बैन करने की भी मांग की है। तुलसीदास रचित रामचरितमानस की एक चौपाई ढोल-गंवार-शूद्र-पशु-नारी। ये सब ताड़ने के अधिकारी का जिक्र करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इस तरह की पुस्तकें अमुन्य कैसे हैं? इनको तो जब्त किया जाना चाहिए और खत्म कर देना चाहिए।
बयान से सपा का कोई लेना-देना नहीं
वहीं मौर्य ने कहा कि महिलाएं सभी वर्ग की हैं। क्या उनकी भावनाएं आहत नहीं हो रही हैं। इन महिलाओं में सभी वर्ग की महिलाएं शामिल हैं। एक तरफ कहोगे -यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता। दूसरी ओर तुलसी बाबा से गाली दिलवाकर उनको कहोगेकि नहीं, इनको डंडा बरसाइए। मारिये-पीटिये। अगर यही धर्म है, तो ऐसे धर्म से हम तौबा करते हैं। बयान से सपा का कोई लेना-देना नहीं। मौर्य ने कहा कि गाली धर्म नहीं हो सकता। आपके लिए अगर यह धर्म नहीं है तो हमारे लिए भी धर्म यह नहीं है। उन्होंने कहा कि यह आपत्तिजनक है और ऐसे अंश को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। वहीं मौर्य ने आगे कहा कि आपने इस प्रकार का सवाल किया है तों जवाब दिया। ये मेरा व्यक्तिगत विचार है। इसमें समाजवादी पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। जिस वर्ग को तमाम गलियों से नवाजा है, उसी वर्ग से मेरा भी ताल्लुक रहा है। मैं उस समाज का पढ़ा-लिखा व्यक्ति हूं और मैं समझता हूं कि यह अपमानजनक है तो उसका विरोध करूंगा।
बता दें कि सपा नता ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि कई करोड़ लेग ऐसे हैं जो रामचरितमानस को नहीं पढ़ते हैं। सब बकवास है, जिसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को संज्ञान में लेते हुए रामचरित मानस से उसके आपत्तिजनक अंश को बाहर कर देना चाहिए या फिर इस पूरी पुस्तक को ही बैनकर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का कोई अधिकार नहीं है। तुलसीदास की रामायण की चौपाई है। इसमें वह शूद्रो ज्ञानी, विद्वान हो फिर भी उसका सम्मान मत करिए। मौर्य ने कहा कि अगर यही धर्म है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं। ऐसे धर्म का सत्यानाश हो, जो हमारा सत्यानाश चाहता हो।