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कौन हैं श्रृंगार गौरी जिसकी पूजा को लेकर हो रहा है इतना विवाद, क्या है..

कौन हैं श्रृंगार गौरी जिसकी पूजा को लेकर हो रहा है इतना विवाद, क्या है आध्यातमिक मान्यता ?

कौन है श्रृंगार गौरी जो इन दिनों चर्चाओं में है। जिससे से जुड़ा विवाद वाराणसी कोर्ट में अभी तक चल रहा है। श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर है ये विवाद वाराणसी से शुरू होकर लगभग पूरे देश का विवाद बन गया है। हम विवाद से जुड़ी आध्यात्मिक मान्यता पर नजर डालते हैं। श्रृंगार गौरी की पूजा वांसतिक यानी चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी को की जाती है। लोगों में ऐसी मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन देवी श्रृंगार गौरी की आराधना का विशेष महत्व है। वहीं चैत्र नवरात्रि सुहागिनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सुहागिन महिलाएं श्रृंगार गौरी को सिंदूर चढ़ाती है।

श्रृंगार गौरी श्रृंगार व सौंदर्य की देवी

श्रृंगार गौरी को श्रृंगार व सौंदर्य की देवी समझा जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्रृंगार गौरी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। कहा जाता है कि श्रृंगार गौरी की पूजा के लिए कोई मंदिर नहीं है। यहां तक की जिस ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर बवाल हो रहा है वहां भी मां श्रृंगार गौरी का मंदिर नहीं है। ज्ञानवापी मस्जिद की चहारदीवारी से कुछ ही दूरी पर एक चबूतरा है।

इसी चबूतरे में श्रृंगार गौरी की आकृति उभरी हुई है। जिसकी पूजा की जाती है। इस विवाद के बाद यहां तक जाने की इजाजत अब पुलिस प्रशासन और श्रद्धालुओं को नहीं देता। यहां साल में एक दिन, वासंतिक नवरात्रि की चतुर्थी के दिन ही आम श्रद्धालुओं को दर्शन पूजन के लिए जाने दिया जाता है। अब यहां पर हर रोज पूजा अर्चना के अधिकार और कथिच तौर पर ज्ञानवापी मस्जिद में मौजूद विग्रहों का मामला कोर्ट पहुंचा है।

मस्जिद की दीवार श्रृंगार गौरी आकृति

दरअसल आपको बता दें कि पांच हिंदू महिलाओं ने जिला कोर्ट में दावा करते हुए याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि उनके धर्म की मूर्तियां ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं। इसके साथ ही उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी। इस पर अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद एक वक्फ संपत्ति है। उसने याचिका की सुनवाई पर सवाल उठाया है.

वहीं हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा था कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिला अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है। इससे पहले एक निचली अदालत ने परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण का आदेश दिया था। 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ। जिसके बाद 19 मई को कोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई थी।

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