बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट से 13 मई के उस आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की थी, जिसमें उसके दोषियों को रिहा कर दिया था। दरअसल इस याचिका में बिलकिस बानो ने 2002 में उसके साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की रिहाई को चुनौती दी थी। लेकिन जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने दोषियों की रिहाई के खिलाफ बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।
क्या कहती है महाराष्ट्र की रिहाई नीति
बिलकिस बानो ने सुप्रीमकोर्ट में दायरयाचिका में कहा गया था कि इस मामले का पूरा ट्रायल महाराष्ट्र में चला है। वहां की रिहाई नीति के अनुसार ऐसे घृणित अपराधों में 28 सालों से पहले रिहाई नहीं हो सकती।
वहीं आपको बता दें कि मई 2022 में जस्टिस अजय रस्तोगी ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि गुजरात सरकार 1992 की रिहाई नीति के तहत दोषियों की रिहाई पर विचार कर सकती है।
स्पेशल CBI कोर्ट ने दोषियों को सुनाई थी उम्र कैद की सजा
बता दें कि मामले में 2008 में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को 15 अगस्त 2022 को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया। गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी। लेकिन दोषियों की रिहाई के बाद काफी बवाल मचा। जिसके बाद बिलकिस ने कोर्ट में उनकी रिहाई के खिलाफ याचिका दाखिल की। वहीं मुंबई की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को सभी दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को बंबई हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
गौरतलब है कि गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उसके परिवार के सात सदस्यों हत्या कर दी गई थी। जिसमें उसकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी। उस समय बिलकिस 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती।