नई दिल्ली। देश में केंद्र सरकार द्वारा आज सीएए को लागू कर दिया गया है. इसको लेकर विपक्षी पार्टी के नेताओं द्वारा सवालिया निशान उठाए जा रहे हैं. विपक्षी नेताओं का आरोप है कि चुनावी मौसम के बाद सीएए लागू किया गया है. दरअसल 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के एजेंडे में सीएए को लागू कराना था, वहीं आज इसको लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.
सीएए को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने ये कहा
सीएए को लेकर एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर सीएए के नियम आएंगे. सीएए पर हमारी आपत्तियां पहले जैसी ही हैं. सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की विचारधारा पर आधारित है, जो मुसलमानों को दूसरा बनाना चाहता था.” श्रेणी के नागरिक.
मुसलमानों को निशाना बना रही सरकार- ओवैसी
किसी भी सताए हुए व्यक्ति को आश्रय दें, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को पांच साल तक क्यों लंबित रखा और अब इन्हें लागू कर रही है. एनपीआर-एनआरसी के साथ-साथ सीएए का मकसद भी सिर्फ मुसलमानों को निशाना बनाना है. इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है.”
बीजेपी के महत्वपूर्ण एजेंडों में से एक
बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने अपने एजेंडे में सीएए लागू करने को कहा था. सीएए बीजेपी के महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है. गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपने कई चुनावी भाषणों में सीएए लागू करने का जिक्र किया था. उन्होंने दावा किया था, कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को लागू कर दिया जाएगा. अब केंद्र सरकार ने इसका नोटिफिकेशन जारी करते हुए बड़ा कदम उठाया है. इसके अंतर्गत भारत के तीन मुस्लिम बहुल्य देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अस्पसंख्यकों को देश में नागरिकता देने का प्रावधान है.