New Indian Law : देश में IPC की जगह BNS हुआ लागू जानें आज से कानूनों में आया बड़ा बदलाव

आज से देश में ब्रिटिश शासन से चले आ रहे कानून समाप्त हो जाएंगे और तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे।

New Criminal Laws , Three New criminal laws , New criminal laws , The Bharatiya Nyaya Sanhita

New Indian Law : आज 1 जुलाई 2024 है और इस दिन से देश में ब्रिटिश काल से चले आ रहे सभी कानून समाप्त हो जाएंगे और तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे।

इन नए (New Indian Law) कानूनों के लागू होने के बाद आम लोगों के जीवन पर भी प्रभाव पड़ेगा। आज से जो भी घटना होगी, उसे नए कानूनों के तहत अपराध माना जाएगा। IPC, CRPC, और Indian Evidence Act की जगह अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय होंगे।

ये तीनों कानून देश के आपराधिक कानून का नया चेहरा होंगे, जिनका मुख्य ध्यान अपराधों की व्यवस्था और सुरक्षा पर होगा। दिल्ली में इन नए कानूनों के तहत पहली एफआईआर सोमवार सुबह दर्ज भी हो गई। नए कानून लागू होने के बाद आम लोगों के पास पुलिस की पहुंच आसान होगी। पूरा सिस्टम ऑनलाइन होगा।

कानून जिन्हें दिया गया नया नाम

तीन नए कानून (New Indian Law) पुराने कानून की जगह पर लाए गए हैं, जो कि भारत की आजादी से पहले के थे। आपको बता दें कि अभी तक भारत में तीन आपराधिक कानून लागू थे, जिनमें इंडियन पीनल कोड (IPC), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) शामिल थे। इन तीनों कानूनों की जगह क्रमशः भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ने ले ली हैं।

यह भी पढ़ें : मानसून के बीच Haryana में हो रहा है सड़क निर्माण, कांग्रेस ने हमला बोलते हुए कहा – ‘नई स्कीम आई है…’

कानूनों में किए गए ये बदलाव-

  1. आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। इन नए कानूनों से भारत में एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी। इसमें ‘जीरो एफआईआर’ की सुविधा, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने का प्रावधान है, जिससे कानूनी अप्रवेशित शिकायतों को कम किया जा सकेगा। ‘एसएमएस’ के माध्यम से समन भेजने और सभी गंभीर अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे तकनीकी उपाय भी इसमें शामिल हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इन कानूनों में कुछ मौजूदा सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों को ध्यान में रखकर एक नई न्यायिक प्रणाली को स्थापित किया गया है। इनसे संविधान में निहित आदर्शों के साथ-साथ प्रभावी रूप से निपटने का तंत्र विकसित किया गया है।

 

  1. नये कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा। पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी। इसके अलावा, मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी।

 

  1. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है। किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है। सूत्रों की मानें तो ‘ओवरलैप’ धाराओं का आपस में विलय कर दिया गया है, जिससे उन्हें आसानी से समझा जा सके। भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं के मुकाबले इसमें केवल 358 धाराएं होंगी।

 

  1. नए क्रिमिनल लॉ के मुताबिक, शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने, झपटमारी आदि मामले दर्ज किए जाते हैं लेकिन मौजूदा भारतीय दंड संहिता में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं थे। मगर अब भारतीय न्याय संहिता में इनसे निपटने के लिए प्रावधान किये गए हैं। ये तीनों कानून न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित है।

 

  1. नये कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गये बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा। पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी। ‘जीरो एफआईआर’ से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो। इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और मामला तुरंत दर्ज किया जा सकेगा।

 

  1. नये कानून में एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा। इसके अलावा, गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा जिससे कि गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्र महत्वपूर्ण सूचना आसानी से पा सकेंगे।

 

  1. नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है। इससे मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी। नए कानूनों के अंतर्गत, पीड़ितों को अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से 90 दिनों के अंदर जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा। इसके अलावा, महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को आवश्यक चिकित्सकीय देखभाल तुरंत मिले।

 

  1. नए कानूनों के अनुसार, आरोपी और पीड़ित दोनों को प्राथमिकी प्राप्त करने का अधिकार होगा, जिसमें पुलिस रिपोर्ट, आरोपपत्र, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेज शामिल हैं, और इन्हें 14 दिनों के भीतर प्राप्त किया जा सकेगा। अदालतें भी मामले की सुनवाई में अनावश्यक विलंब से बचने के लिए अधिकतम दो बार मुकदमे की सुनवाई स्थगित कर सकती हैं। इन नए कानूनों में सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना अनिवार्य है, जिससे गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित किया जा सके, और कानूनी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता और प्रभाव को बढ़ाया जा सके।

 

  1. नए कानूनों के अनुसार, ‘लैंगिकता’ की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं, जिससे समावेशिता और समानता को बढ़ावा मिलता है। पीड़ितों को अधिक सुरक्षा देने और दुष्कर्म के किसी अपराध के संबंध में जांच में पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए, पीड़िता का बयान पुलिस द्वारा ऑडियो-वीडियो माध्यम के जरिए दर्ज किया जाएगा।

 

  1. महिलाओं, पंद्रह वर्ष की आयु से कम उम्र के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों तथा दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी। वे अपने निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार, तीन नए क्रिमिनल लॉ से आम आदमी को कानूनी झंझट से थोड़ी राहत मिल सकती है। उन्हें केस-मुकदमा और कोर्ट-कचहरी की वजह से बहुत ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा।
Exit mobile version