Chhattisgarh News : ऐसा स्कूल जहां बच्चों के लंच में मां रखती हैं एक एक्सट्रा रोटी, वजह ऐसी की दिल खुश हो जाए

रायपुर के एक स्कूल में एक अद्वितीय प्रथा चर्चा में है। इस स्कूल में पहली से लेकर बारहवीं तक के छात्र-छात्राएँ अपने टिफिन बॉक्स में एक अतिरिक्त रोटी लाते हैं, जो गौ माता को समर्पित की जाती है।

Roti for cow , ek roti gaay ke liye , cow help , cow serving mission
Chhattisgarh News : भारत में गाय को मां का दर्जा दिया जाता है और इसे विशेष महत्व दिया जाता है। बच्चा जब एक साल का होता है, तब से उसे मां के अलावा गाय का दूध भी पिलाया जाता है, क्योंकि गाय के दूध में मां के दूध के समान गुण होते हैं। इसके कारण गाय की पूजा भी की जाती है और उसकी सेवा करने से पुण्य प्राप्त होता है। इसी वजह से भारत में कई लोग गौ सेवा करते हैं।

रायपुर के एक स्कूल, वीर छत्रपति शिवाजी स्कूल में पिछले एक साल से एक अनोखी पहल चल रही है। यहां पर छात्र-छात्राएँ एक रोटी अलग करके गायों के लिए एकत्रित करते हैं।

पिछले साल स्कूल में शुरु हुई अनोखी मुहीम

पिछले साल 31 सितंबर को इस मुहीम की शुरुआत की गई थी, जिसमें स्कूल के पहली से बारहवीं के बच्चों को अपने टिफिन बॉक्स में एक अतिरिक्त रोटी लाने को कहा गया था। ये अतिरिक्त रोटी गाय के लिए समर्पित है। इन रोटियों को बच्चे गौशाला में दान के रूप में या सड़कों पर घूमती गौ माता को खिलाने के लिए उपयुक्त तरीके से उपयोग किया जाता है। बच्चे भी इस मुहीम का समर्थन देकर बड़ी भागीदारी दिखाते हैं, और हर दिन गौ माता के लिए एक अतिरिक्त रोटी लेकर आते हैं।
शिवाजी स्कूल (Chhattisgarh News) ने एक साल पहले इस अनोखी पहल की शुरुआत की थी। स्कूल के प्रिंसिपल के अनुसार, जब बच्चे स्कूल की दान पेटी में रोटी डालते हैं, उन्हें यह भावना रहती है कि वे स्टील के डिब्बे में नहीं, बल्कि गाय के मुंह में रोटी डाल रहे हैं। उन्हें सिखाया गया है कि यह डिब्बा गाय का मुंह है और वहीं से गाय माता को उनका दान मिलता है। इसी तरह, बच्चे हर दिन टिफिन में एक अतिरिक्त रोटी लाते हैं और उसे गौ माता के लिए समर्पित करते हैं, जिसे वे बहुत उत्साह से करते हैं।
स्कूल परिसर में दो बड़े स्टील बॉक्स लगाए गए हैं, जहां स्कूल आने के बाद बच्चे सबसे पहले अपने टिफिन बॉक्स से रोटी निकालकर इन पेटियों में जमा करते हैं। इसके बाद, हर दिन इन रोटियों को एक साथ इकट्ठा किया जाता है और गौशाला में भेजा जाता है या फिर सड़कों पर घूमती गायों को खिलाया जाता है। इस मुहीम को बाकी स्कूलों में भी शुरू करने का प्लान था, लेकिन अभी तक यह सिर्फ शिवाजी स्कूल में ही सालभर से चल रहा है।
Exit mobile version