नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी हैं। कोर्ट ने उस याचिका को रद्द करे दिया जिसमें उन्हें पद से हटाने की मांग की गई थी।
जनहित मामले में अदालत कार्यवाई नहीं करती : कोर्ट
ज्ञात हो कि ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद सीएम पद से हटाए जाने को लेकर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसे अदालत ने जनहित याचिका कहते हुए खारिज कर दिया। मामले को लेकर कोर्ट ने कहा कि यह विषय कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर का हैं, जिसपर कोर्ट द्वारा नही उपराज्यपाल द्वारा फैसला लिया जा सकता है।
कोर्ट ने सुनवाई में क्या कहा
मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि मामला राजनीतिक है जिसमें न्यायपालिका दखल नहीं दे सकती है। कोर्ट ने याचिका कर्ता के वकील से पूछा कि ऐसी कोई कानूनी बाध्यता है, जिसके तहत हिरासत में आने के बाद व्यक्ति को उसके पद से हटाया जाना जरूरी है? वही मामले में विषय पर फैसला लेने के लिए उपराज्यपाल पर छोड़ दिया है
याचिका में क्या ?
याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 के आधार पर दावा किया कि मुख्यमंत्री ने एक कैदी के रूप में अभी जेल में है। ऐसे में केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करने में अक्षम है। इसके अलावा वो ऐसे किसी भी काम के लिए असमर्थ हैं जिसकी इजाजत मुख्यमंत्री के तौर पर कानून उसे देता है। इसके साथ साथ वो अगर किसी तरह के फैसला लेते हैं तो जेल में उन तक पहुंचने से पहले जेल अधिकारियों तक सुरक्षा की दृष्टि से पहुंचेगी। इससे संविधान की तीसरी अनुसूची के तहत मुख्यमंत्री पद की दिलाई गई गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन होगा। इसलिए उन्हें पद से इस्तीफा देना चाहिए।