सोने की इतनी खरीद सिर्फ एक महीने में
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने मई महीने में भारत को दुनिया में सोने का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार बनाया। भारत ने पिछले महीने 722 करोड़ रुपये का सोना खरीदा। मात्रा के हिसाब से यह खरीद 45.9 टन है। इससे पता चलता है कि भारत अपने सोने के भंडार को बढ़ाने में अभी भी आक्रामक है।
आंकड़े बताते हैं कि पिछले 5 सालों में भारत के सोने के भंडार में 33% की शानदार वृद्धि हुई है।
- मार्च 2019: भारत के पास 618.2 टन सोने का भंडार था।
- मार्च 2024: यह भंडार बढ़कर 822.1 टन पर पहुंच गया है।
यह वृद्धि मुख्य रूप से हालिया समय में सोने की बढ़ी खरीद के कारण हुई है।
- मई 2024: भारत ने 722 करोड़ रुपये मूल्य का 45.9 टन सोना खरीदा, जो इसे दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा सोना खरीदार बनाता है।
- पिछले 5 सालों में: भारत ने कुल 203.9 टन सोना खरीदा है।
भारत से अधिक सोना उन्होंने खरीदा
बीते महीने सिर्फ दो देश भारत से सोना खरीदने में आगे रहे। स्विट्जरलैंड ने सबसे पहले 312.4 टन सोना खरीदा। इस खरीदारी की वैल्यू 2,461 करोड़ रुपये है। चीन (86.8 टन) 2,109 करोड़ रुपये में खरीदकर दूसरे स्थान पर रहा।
5 साल में सोने का भंडार
भारत का सोने का भंडार पिछले कुछ वर्षों में बहुत बड़ा हुआ है। मार्च 2019 में भारत का सोने का भंडार 618.2 टन था। मार्च 2014 तक भंडार 822.1 टन था। यानी पिछले पांच वर्षों में भारत के सोने के भंडार में अविश्वसनीय 33% की बढ़ोतरी हुई
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सोने की खरीद के पीछे के कारण
- विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर करना: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिरता प्रदान करने और पोर्टफोलियो को विविधतापूर्ण बनाने के लिए सोना खरीद रहा है।
- डॉलर की अस्थिरता: डॉलर के अस्थिर होने के कारण RBI ने सोने के भंडार को बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की है।
- सुरक्षित निवेश: सोना को अनिश्चित समय में एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, खासकर जब भू-राजनीतिक तनाव बढ़ जाता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने स्पष्ट किया
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर बनाने और पोर्टफोलियो को डायवर्स बनाने के लिए सोने की खरीदारी की जा रही है। डॉलर के वोलेटाइल होने से रिजर्व बैंक को सोने का भंडार बढ़ाना पड़ा।
निवेशकों को इसलिए सोना पसंद है
वास्तव में, सोना निवेशकों को पुराने जमाने से प्यार हो रहा है। आज पीली धातु को अनिश्चित परिस्थितियों में सुरक्षित निवेश माना जाता है। यही कारण है कि हर बार जब दुनिया में भू-राजनीतिक संघर्ष पैदा होता है,