Nepal monarchy movement: नेपाल की राजधानी काठमांडू में बीते दिनों से जारी हिंसक प्रदर्शनों ने आज गंभीर रूप ले लिया, जिसके चलते Nepal प्रशासन को कई क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाना पड़ा। राजशाही समर्थकों और वर्तमान गणतांत्रिक व्यवस्था के विरोधियों के प्रदर्शन उग्र हो गए, जिसके परिणामस्वरूप प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़पें हुईं। इस दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शाम 7 बजे कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई है। इस बीच, बढ़ती हिंसा के कारण त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है, जिससे यात्रियों और पर्यटकों में चिंता बढ़ गई है। देश में बढ़ते असंतोष के बीच सरकार और विपक्षी दलों के बीच तीखी बयानबाजी भी तेज हो गई है।
राजशाही समर्थकों का आंदोलन हुआ उग्र
काठमांडू में हिंसा की शुरुआत राजशाही समर्थकों द्वारा आयोजित प्रदर्शनों से हुई, जो नेपाल में 240 वर्षों तक रही राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की पुनर्स्थापना की मांग कर रहे हैं। 2008 में नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया गया था, लेकिन हाल के महीनों में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थकों की सक्रियता बढ़ी है। 25 मार्च से जारी इन प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों ने सरकार के हालिया फैसलों के खिलाफ भी नाराजगी जताई, जिनमें नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रबंध निदेशक कुलमान घिसिंग की बर्खास्तगी भी शामिल थी। हालांकि, आज की हिंसा मुख्य रूप से राजशाही की बहाली की मांग को लेकर हुई।
हिंसा के चलते कर्फ्यू और हवाई अड्डा बंद
शहर के तिनकुने, सिनामंगल और कोटेश्वर इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, सरकारी वाहनों में आग लगा दी और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत समाजवादी) के कार्यालय पर हमला कर दिया। स्थिति नियंत्रण से बाहर होने के बाद प्रशासन ने इन इलाकों में कर्फ्यू लगाने का फैसला किया। त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास भी झड़पें हुईं, जिसके बाद इसे सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया। यह नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि यह देश का प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रवेश द्वार है।
सरकार और विपक्ष आमने-सामने
Nepal प्रधानमंत्री ओली ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था को अस्थिर करने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेगी। उनकी पार्टी, सीपीएन-यूएमएल, ने राजशाही समर्थकों की मांग को “असंवैधानिक” करार दिया है। वहीं, विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस और समाजवादी मोर्चा ने सरकार पर हिंसा को नियंत्रित करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी जैसी राजशाही समर्थक पार्टियों ने आंदोलन को और तेज करने का ऐलान किया है।
Nepal के लिए गंभीर संकट
नेपाल में जारी यह राजनीतिक संकट लोकतंत्र और स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। प्रधानमंत्री की आपात बैठक में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने, हिंसा के कारणों की जांच करने और हवाई अड्डे को फिर से खोलने के उपायों पर चर्चा होने की संभावना है। आने वाले दिनों में सरकार और प्रदर्शनकारियों की अगली रणनीति नेपाल के भविष्य की दिशा तय कर सकती है।