Samajwadi bulletin: अब तक लेख हिंदी में ही समाजवादी पार्टी के मुखपत्र ‘समाजवादी बुलेटिन’ में प्रकाशित होते रहे हैं। लेकिन पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का लेख अंग्रेजी में पहली बार प्रकाशित हुआ है।
समाजवादी पार्टी को आखिर क्यों अंग्रेजी की जरूरत पड़ी?
समाजवादी पार्टी भी अब बदल रही है। बदलते समाज और संस्कृति को देखते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी बदलने को मजबूर (Samajwadi bulletin) हो रहे हैं। अब तक समाजवादी पार्टी के नेता हिंदी को प्राथमिकता देते रहे हैं, मुलायम सिंह यादव आजीवन हिंदी प्रेमी रहे। लेकिन अब समाजवादियों की ‘भाषा’ बदल रही है। युवाओं को पार्टी के करीब लाने के लिए समाजवादी पार्टी ने अब अंग्रेजी से भी हाथ मिलाया है। समाजवादी पार्टी के आधिकारिक मुखपत्र ‘समाजवादी बुलेटिन’ में पहली बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का अंग्रेजी में संदेश आया है।
अखिलेश यादव का संदेश अंग्रेजी में
इकरा हसन, प्रिया सरोज और पुष्पेंद्र सरोज सहित पार्टी के युवा नेताओं को अखिलेश यादव ने छपे अंग्रेजी के संदेश में संबोधित किया है। उन्हें समाजवादी पार्टी ने पहली बार चुनाव मैदान में उतारा है, और लोगों ने उन्हें सराहना की है। अखिलेश का संदेश इस धारणा का समर्थन करता है कि जिन लोगों का वह प्रतिनिधित्व करता है उनकी समस्याओं को हल करने की उम्मीदवारों की क्षमताएं सबसे महत्वपूर्ण हैं।
क्या अब सपा में अंग्रेजी बढ़ेगी?
इकरा, प्रिया और पुष्पेंद्र क्रमश: कैराना, मछलीशहर और कौशांबी लोकसभा सीटों से जीते हैं। तीनों ने विदेश के शीर्ष विश्वविद्यालयों से पढ़ाई की है, इसलिए सभी धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलते हैं। अखिलेश यादव के संदेश के अलावा पार्टी के मासिक मुखपत्र में तीन नवनिर्वाचित युवा सांसदों पर अंग्रेजी में एक अध्याय है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी और उसके कैडर के भीतर हिंदी ही संवाद की मुख्य और एकमात्र भाषा रहेगी और अंग्रेजी का इस्तेमाल सिर्फ उस पीढ़ी को संबोधित करने तक सीमित रहेगा जो अंग्रेजी में बातचीत करने में अधिक सहज है। पार्टी के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि यह सिर्फ उन लोगों तक पहुंचने का एक जरिया है जो अंग्रेजी में सोचते हैं।
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क्यों अंग्रेजी की जरूरत पड़ी?
यह दिलचस्प है कि सिडनी विश्वविद्यालय से पर्यावरण इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले अखिलेश यादव ने 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की कमान संभाली है, तब से उन्होंने हिंदी में अपने विचारों को पार्टी नेताओं और आम जनता के सामने हिंदी में व्यक्त किया है। उन्हें अंग्रेजी में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए शायद ही कोई मीडिया इंटरव् यू होगा। सवाल चाहे अंग्रेजी में पूछा गया हो या विदेश से आए किसी पत्रकार ने पूछा हो।
इसका जवाब अखिलेश हिंदी में देते नजर आए। पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकारों का कहना है कि फिलहाल अंग्रेजी का इस्तेमाल पार्टी की प्रेस रिलीज के एक हिस्से तक ही सीमित रहेगा। यह उन लोगों के लिए है जो किसी भी कारण से अंग्रेजी पढ़ना, बोलना और लिखना पसंद करते हैं। उदाहरण के लिए केरल और कर्नाटक के लोग हिंदी पट्टी के लोगों की तुलना में अंग्रेजी में हमारे लेख पढ़ने के लिए ज्यादा इच्छुक होंगे।
वजह चाहे जो भी हो, लेकिन यह समय की मांग है। आज का युवा अंग्रेजी भाषा में खुद को ज्यादा सहज महसूस करता है। ऐसे में लगभग सभी पार्टियां हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी में भी अपना प्रचार करती हैं। समाजवादी पार्टी भी अब इसी लाइन पर चल रही है। ऐसे में अगर हम कहें कि समाजवादियों की ‘भाषा’ बदल रही है तो गलत नहीं होगा।