Shambhu Border: हरियाणा सरकार ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है जिसमें उसे एक सप्ताह के भीतर अंबाला के निकट शंभू सीमा पर लगे बैरिकेड्स हटाने का निर्देश दिया गया है। किसान 13 फरवरी से यहां डेरा डाले हुए हैं। इस बीच किसानों ने फिर दिल्ली (Shambhu Border) कूच की तैयारी शुरू कर दी है। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के निर्देशानुसार शंभू बॉर्डर पर रास्ता खुलते ही हम अपना सामान पैक कर दिल्ली की ओर कूच करेंगे। हमें दिल्ली में जंतर-मंतर या रामलीला मैदान जाने दिया जाए। हम (Shambhu Border) अपनी मांगों को लेकर वहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे।
किसान मंच संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) का कहना है कि उनका फैसला (Shambhu Border) इसलिए रुका हुआ है क्योंकि उन्हें अभी हरियाणा सरकार के हलफनामे की कॉपी नहीं मिली है,जिससे सरकार की कार्रवाई का पता लगाया जा सके। किसानों का एक हिस्सा मानता है कि अगर हरियाणा सरकार 10 जुलाई के आदेश का पालन करते हुए उन्हें रास्ता दे दे, तो वे मार्च को दिल्ली में फिर से शुरू कर सकेंगे।
विपक्ष ने घोषणापत्र में
किसानों के पक्ष में लिखी कई बातें किसान नेताओं ने (Shambhu Border) साफ कर दिया है कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर विपक्ष के सभी नेताओं से मिलने का समय मांगा है। इस चुनाव में इंडिया अलायंस को भी किसानों और मजदूरों का वोट मिला है, ऐसे में इंडिया अलायंस की पार्टियां लगातार किसानों के हितों की बात करती हैं। अपने घोषणापत्र में भी उन्होंने किसानों के पक्ष में काफी कुछ लिखा है। संसद के आगामी सत्र में उन्हें एमएसपी की मांग की गारंटी के लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाना चाहिए। तभी पता चलेगा कि किसानों के बारे में उनकी कही गई बातें कितनी सच हैं।
एनडीए गठबंधन दलों से मिलने को तैयार
किसानों ने कहा कि हमने राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं से (Shambhu Border) मिलने का समय मांगा है और हम भाजपा सांसदों को छोड़कर संसद में अन्य दलों के सभी सांसदों और नेताओं से मिलना चाहते हैं। हम किसानों की मांगों को लेकर एनडीए गठबंधन दलों से मिलने को भी तैयार हैं। मंगलवार को चंडीगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर संघर्ष समिति की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किसान नेताओं ने यह जानकारी दी। 22 जुलाई को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में किसान संगठनों की अहम बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।