अवैध मस्जिद निर्माण को लेकर तनाव बढ़ा
हिमाचल प्रदेश की राजधानी Shimla के संजौली इलाके में मस्जिद के अंदर हुए अवैध निर्माण को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। बुधवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की खबरें आई हैं। इसके चलते प्रशासन ने एहतियात के तौर पर संजौली में धारा 163 लागू कर दी है। हिंदू संगठन से जुड़े प्रदर्शनकारी अवैध निर्माण का विरोध कर रहे हैं, और उन्होंने पुलिस बेरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने लाठीचार्ज किया और हिंदू जागरण मंच के अध्यक्ष कमल गौतम को हिरासत में लिया।
Shimlaपुलिस ने इलाके में बढ़ाई सुरक्षा
Shimla पुलिस ने मंगलवार रात को इलाके में फ्लैग मार्च कर शांति बनाए रखने की अपील की थी। मौजूदा समय में संजौली में हर जगह पुलिस तैनात है, और मस्जिद के बाहर भी भारी पुलिस बल मौजूद है। इस मस्जिद के अवैध निर्माण मामले की सुनवाई नगर निगम के आयुक्त की अदालत में हुई थी, और अगली सुनवाई कुछ दिनों बाद होने की संभावना है।
विवाद की जड़: मस्जिद में अवैध निर्माण
विवाद की शुरुआत संजौली इलाके की मस्जिद में बिना अनुमति के हुए अवैध निर्माण से हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस निर्माण के बाद मस्जिद में बड़ी संख्या में लोग नमाज पढ़ने आते हैं। मस्जिद का निर्माण 1947 में हुआ था, लेकिन 2010 में इसका पुनर्निर्माण किया गया। उस समय से मस्जिद में कई अवैध निर्माण किए गए हैं। नगर निगम ने कई बार नोटिस जारी किया, लेकिन निर्माण कार्य नहीं रुका। पहले मस्जिद एक मंजिला थी, लेकिन धीरे-धीरे इसे बहुमंजिला बना दिया गया।
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प्रदर्शनकारियों की मांग
अवैध निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोग सड़कों पर उतर आए हैं। पिछले गुरुवार को भी इस मुद्दे पर व्यापक प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि मस्जिद में हुए अवैध निर्माण को तुरंत गिराया जाए। इस विरोध में महिलाएं भी शामिल हुई थीं, और प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार को दो दिनों का अल्टीमेटम दिया था।
धार्मिक स्थल नहीं, अवैध निर्माण के खिलाफ विरोध
विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि उनका प्रदर्शन किसी धार्मिक स्थल के खिलाफ नहीं है, बल्कि अवैध निर्माण के खिलाफ है। 2010 में जब नई मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ, तो उस जगह पहले दुकानें थीं। मस्जिद के निर्माण के लिए कई बार नोटिस दिए गए, लेकिन किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, मस्जिद का निर्माण 6750 स्क्वायर फुट तक पहुंच गया है, और यह जमीन हिमाचल सरकार की है।