Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को एक बहुमत के फैसले में यह निर्धारित किया है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के बीच उप-वर्गीकरण कर सकती हैं। इस फैसले ने 2004 में ईवी चिन्नैया मामले में 5 जजों द्वारा दिए गए निर्णय को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि SC/ST में उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता।
केटेगरीज़ के चलते नहीं होगा आर्टिकल 14 का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के भीतर उप-वर्गीकरण को मान्यता दी है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने 6-1 के बहुमत से यह निर्णय सुनाया। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने इस फैसले के खिलाफ असहमति जताते हुए अलग आदेश जारी किया। सीजेआई ने कहा कि ‘हमने ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए फैसले को खारिज कर दिया है। उप-वर्गीकरण अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि उप-वर्गों को सूची से बाहर नहीं रखा गया है।’