UP News: उत्तर प्रदेश के प्राथमिक, उच्चतर प्राथमिक और कस्तूरबा स्कूलों के शिक्षकों के लिए डिजिटल हाजिरी का आदेश लागू किया गया है, जिसे लेकर शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया है। प्रदेशभर में कहीं शिक्षकों ने डिजिटल हाजिरी नहीं लगाई तो कहीं उन्होंने काली पट्टी बांधकर विरोध किया। शिक्षक संगठन इस आदेश को अव्यवहारिक मानते हुए इसके खिलाफ एकजुट हो गए हैं।
इस आदेश के तहत 87,811 प्राथमिक, 46,527 उच्चतर प्राथमिक और 746 कस्तूरबा स्कूलों के शिक्षकों को सुबह 7.45 से 8 बजे तक हाजिरी लगाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन शिक्षकों के विरोध के बाद इसे बढ़ाकर 8.30 बजे तक कर दिया गया।
सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था से स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति की सही जानकारी मिलेगी, उत्पीड़न की शिकायतें खत्म होंगी, और कामकाज में पारदर्शिता आएगी।
शिक्षक क्यों कर रहे विरोध?
शिक्षक इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उन्हें परेशानी होगी। टैबलेट पर हाजिरी दर्ज करवाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण नहीं दिया गया है और ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्याएं हैं। टैबलेट खराब होने पर अनुपस्थिति मानी जाती है और दूर से आने वाले शिक्षकों को समय पर पहुंचने में दिक्कतें हो सकती हैं।
UP govt school English teacher fails to read English sentences from 5th Std
These are the teachers protesting against digital attendance, akhilesh is supporting them & dehatis are voting such leaders pic.twitter.com/38KUrt1KRH
सरकार फिलहाल आदेश वापस लेने के मूड में नहीं है। शिक्षकों पर स्कूलों के अलावा और भी कई जिम्मेदारियां हैं जैसे चुनावी ड्यूटी, सरकारी सर्वे, मिडडे मील की मॉनिटरिंग, ग्राम बाल शिक्षा समिति की बैठकें, स्कूल चलो अभियान आदि।
#WATCH | UP | Teachers of a government school in Chaprua Khera, Zone-1 in Lucknow wore black arm bands in protest against the digital attendance system, yesterday. pic.twitter.com/kYZw3nMeXs
उत्तर प्रदेश में अनुदेशक और शिक्षामित्र शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ हैं। 25223 अनुदेशक और 144209 शिक्षामित्र कम वेतन में काम कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने 5 साल पहले अनुदेशकों का वेतन बढ़ाने का आदेश दिया था, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हुआ।
शिक्षकों का कहना है कि सरकार को पहले उनकी दशा सुधारनी चाहिए। प्रदेश में डेढ़ लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। प्राइमरी स्कूलों में 39 बच्चों पर 1 टीचर और अपर प्राइमरी स्कूलों में 18 स्टूडेंट्स पर 1 टीचर तैनात हैं, जो मानकों से कम हैं।