West Nile Fever ब्रेन से संबंधित है
रिपोर्ट के अनुसार, बुखार बहुत खतरनाक हो सकता है अगर इसे समय रहते नहीं इलाज किया गया। इसलिए समय रहते इसका इलाज करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह बुखार एन्सेफलाइटिस भी हो सकता है अगर मरीज को सही समय पर इलाज नहीं दिया गया। यह ब्रेन बीमारियों का खतरा बढ़ाता है। इस बीमारी कई बार मौत तक ले जाती है। ऐसे में इस बीमारी को समय रहते पहचानना सबसे महत्वपूर्ण है।
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इस बुखार को आखिर क्यों “West Nile Fever” कहा गया?
इस बुखार की पहली पहचान युगांडा के वेस्ट नाइल में हुई थी, इसलिए इसे वेस्ट नाइल नाम दिया गया। टीवी 9 भारतवर्ष में छपी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के राजीव गांधी हॉस्पिटल के डॉक्टर अजित ने कहा कि दुनिया भर में इसके केस लगातार होते हैं, इसलिए यह कोई नई बीमारी नहीं है।
अब वे केरल में दिखाई देते हैं। लेकिन आपको इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इसके लक्षण फ्लू की तरह हैं। जिस व्यक्ति को यह बुखार अपना शिकार बनाती है, उनके शुरुआती लक्षण सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, दस्त, गले में दर्द और शरीर में दाने होने लगते हैं। आरएनए वायरस पश्चिमी नाइल बुखार का वायरस है। इस तरह के वायरस डेंगू और मलेरिया का कारण बनते हैं।
मई के शुरुआत से ही वेस्ट नाइल फीवर के 10 मामले आ चुके सामने
वेस्ट नाइल फीवर के संकेत:
- बुखार
- सिरदर्द
- थकान
- मांसपेशियों में दर्द
- कुछ मामलों में, गंभीर संक्रमण में मेनिन्जाइटिस, एन्सेफलाइटिस या मृत्यु भी हो सकती है।
संक्रमण से बचाव के लिए:
- मच्छरों से बचाव, जैसे कि मच्छरदानी का उपयोग, मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाना, और घर के आसपास पानी जमा न होने देना।
- लंबी आस्तीन वाले कपड़े पहनना।
- शाम और सुबह के समय घर के अंदर रहना, जब मच्छर अधिक सक्रिय होते हैं।
यदि आपको वेस्ट नाइल फीवर के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।