नेमप्लेट मामले पर Supreme Court से योगी सरकार को बड़ा झटका, फैसले पर लगाई गई रोक

Supreme Court

Supreme Court on Nameplate Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल, ढाबा, फल और खान-पान की दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है। कोर्ट ने यूपी, एमपी, और उत्तराखंड सरकार को भी नोटिस जारी किया है, और इस मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। तब तक किसी भी राज्य में दुकानदारों को अपना या स्टाफ का नाम लिखने की आवश्यकता नहीं होगी।

जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि कांवड़ियों को वेज खाना मिले इसके लिए फूड सेफ्टी कानून के तहत सक्षम अधिकारी आदेश जारी कर सकते हैं। पुलिस खाद्य संरक्षण विभाग के कार्यों में गैर-कानूनी हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

मामले को गैरकानूनी बताया गया

याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश को संविधान के आर्टिकल 14, 15, 17 और 19 (1) (ग) का उल्लंघन बताया है। इन अनुच्छेदों के तहत धर्म, जाति या नस्ल के आधार पर भेदभाव, छूआछूत को गैर-कानूनी बनाया गया है और लोगों को कोई भी व्यापार करने की आजादी दी गई है। एक एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और एक्टिविस्ट अपूर्वानंद और आकार पटेल की याचिकाओं पर कोर्ट ने तीनों राज्यों को नोटिस जारी किया है और कहा है कि वह किसी अन्य राज्य को भी इस मामले में शामिल कर सकता है।

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विपक्ष ने किया इसका जमकर विरोध 

कांवड़ यात्रा मार्ग पर दूसरे धर्म के दुकानदारों से कांवड़ियों के बीच संभावित बहस और झगड़ों की घटनाओं के मद्देनजर योगी सरकार ने दुकानों पर मालिक का नाम लिखने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में होटल और ढाबों में काम करने वाले मुसलमानों को नौकरी से हटा दिया गया। जिन मुसलमानों ने हिंदू समझ आने वाले नाम से ढाबा खोल रखा था, उन्हें नाम बदलकर ऐसा नाम रखने को कहा गया जिससे कांवड़ियों को पता चल सके कि यह ढाबा हिंदू का नहीं है।

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योगी सरकार के फैसले का विपक्ष के साथ-साथ एनडीए के सहयोगी दल भी विरोध कर रहे हैं। भाजपा के नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इसका खुलकर विरोध किया है। अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, मायावती, असदुद्दीन ओवैसी समेत अनेक विपक्षी नेताओं ने इसे धार्मिक भेदभाव और सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ाने वाला बताते हुए आदेश वापस लेने की मांग की है।

 

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