Operation Wave City: आज हम बिल्डरों और अफसरों के काले खेल का बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं.आज हम आपको दिखाएंगे कि.यूपी में बिल्डरों और अफसरों ने मिलकर सरकार को कैसे अरबों का चूना लगाया.
सरकारों की नाक के नीचे जमीन का ये काला खेल चलता रहा और 2003 से लेकर 2012 तक सरकारें क्यों आंखों पर पट्टी बांधे रहीं.गाजियाबाद से लेकर लखनऊ तक कैसे लैंड यूज के कानून को ताक पर रख दिया गया.सारी कहानी आपको बताएंगे.इसमें कौन कौन किरदार थे.ये भी दिखाएंगे.अफसरों और बिल्डरों के फेविकोल वाले गठजोड़ पर बड़ा खुलासा होगा.गाजियाबाद में नियम कानून को ताक पर रखकर जिस जिस अफसर और बिल्डर ने सरकार को अरबों का चूना लगाया उनके चेहरे से पर्दा उठाएंगे.अगले आधे घंटे में अफसरों और बिल्डरों की बदमाश कंपनी को बेनकाब करेंगे.लेकिन इस काले खेल को समझने के लिए सबसे पहले ये रिपोर्ट देखिए.
यूपी में अफसरों और बिल्डरों का गठजोड़ बहुत पुराना है और कई बार जब इसमें राजनीतिक तड़का लग जाता है तो इस गठजोड़ में फेविकोल की मजबूती आ जाती है.जब कोई अधिकारी और नेता रिश्ते निभाने पर आता है और किसी को फाइनेंसियल लाभ देने के बारे में सोच ले तो तमाम कायदे कानून को वे लोग जूतों के नीचे रखकर फैसला लेते हैं.आज आपको ऐसी ही एक खबर दिखा रहे हैं जिसे सुनकर आपके कान खड़े हो जाएंगे…गाजियाबाद और लखनऊ के बिल्डरों ने सूबे के अफसरों के साथ मिलकर ऐसा खेल खेला जिससे यूपी सरकार को अरबों का चूना लगा.गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और 2003 से 2012 तक उत्तर प्रदेश में जिसकी भी सरकार रही उसने गाजियाबाद के बिल्डरों को फायदा देने की नई-नई स्कीम लांच की.
जानकारी के मुताबिक 2003 में एक पॉलिसी बनाई गई जिसमें यूपी के अलग-अलग बिल्डरों को हाइटेक सिटी बनाने का प्रस्ताव पास हुआ…गाजियाबाद में इस पॉलिसी के लिए सनसिटी और उप्पल चड्ढा ने सरकार के सामने अपनी हाजिरी लगाई और सेलेक्ट भी हो गए.इसी तरह से लखनऊ में अंसल और ओमेक्स का नाम सामने आया…इनका यह टारगेट था गाजियाबाद वेव सिटी बनाने के दौरान किए 1500 एकड़ में टाउनशिप डेवलप करेंगे जमीन का 60 फीसदी हिस्सा यह लोग किसानों से डायरेक्ट खरीदेंगे बाकी 40% गाजियाबाद विकास प्राधिकरण इन्हें एक्वायर करके देगा.
एग्रीमेंट में ये बात भी कही गई कि अलग-अलग फेस का डीपीआर भी अलग होगा.लिहाजा यह सिटी शहर से बाहर बनेगी तो जिस इस हाईटेक सिटी का निर्माण होगा वह भूमि एग्रीकल्चर लैंड होगी.. इसलिए इन बिल्डर्स को एक्स्ट्रा डिस्काउंट दिया गया.उस एग्रीमेंट में लिखा गया था कि उप्पल चड्ढा और सन सिटी के मालिक जिस जमीन की सेल करेंगे सिर्फ उसी का भू उपयोग परिवर्तित करा कर उसका शुल्क जीडीए में जमा कराना होगा. बाकी जो जमीन सर्विस यानी पार्क रोड बिजली घर कुल मिलाकर पब्लिक यूटिलिटी के लिए यूज होगी उसमें किसी तरह का लैंड कन्वर्जन चार्जेज जमा नहीं होगा.एग्रीमेंट में ये भी लिखा गया कि.केवल सेलेबल एरिया का डेवलपमेंट चार्ज ही संबंधित डेवलपर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में जमा कराएं
(BY: VANSHIKA SINGH)