लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। 70-80 के दशक में बॉलीवुड के एक्टर बुलेट, राजदूत और एचडी बाइक पर बैठकर रूपहले पर्दे पर गीत गुनगुनाने के साथ विलेन के साथ फाइट किया करते थे। दिन गुजरे और समय के साथ पेट्रोल डीजल के दाम बढ़े तो बाजारों के शोरूम से ये बाइकें एकाएक लापता हो गई। नेता, अभिनेता और कारोबारियों के घरों पर ही अंग्रेजों की बुलेट दिखती है, पर एकबार फिर समय बदला और 2024 में पुराने-जमाने की ‘फटफटी’ ग्राहकों की पहली पसंद बन गई है। लोग मुंहमांगी कीमत पर इनकी खरीदारी कर रहे हैं। अब गांवों में एकबार फिर बुलेट, राजदूत और येचदी का शोर सुनाई देने लगा है। पूर्व पीएम वीवी सिंह और कुंडा के राजा भैया की सवारी की कहानी हम आपको अपने इस खास अंक में बताने जा रहे हैं।
बीघनपुर गांव की शोभा बढ़ रहीं ये बाइकें
करीब तीन से चार दशक पहले शहर-गांव की गलियों में बुलेट, राजदूत और येचदी बाइक की धूम थी। बैलगाड़ी के साथ ही अन्नदाता बुलेट, एचडी और राजदूत में सवार होकर अपने घर से निकलते थे। मूंछ पर ताव रखकर शान से राजदूत पर सवार होकर ससुराल जाते थे। पर समय बदला और आधुनिक दौर में नई बाइकें बाजार में आ गई, जिसके कारण पूराने जमाने की ‘फटफटी’ गुम हो गई। पर हालात बदले और नए कलेवर के साथ अन्य बाइकों की तुलना में राजदूत, बुलेट और एचडी बाइक महंगे दामों में बिक रही हैं। पूर्व पीएम वीवी सिंह के साथ ही राजा भैया की पसंदीदा सवारी को ग्राहक मुंहमांगी कीमत पर खरीद रहे हैं। फतेहपुर की बीघनपुर गांव इनदिनों इन्हीं बाइकों के लिए चर्चा में बना हुआ है। यहां करीब 70 फीसदी घरों में बुलेट, येचदी के साथ राजदूत घरों की शोभा बढ़ रही हैं।
बुलेट की कहानी बढ़ी दिलचस्प
1930 से 9 दशकों का सफर तय करने वाली रॉयल एनफील्ड बुलेट की कहानी बढ़ी दिलचस्प है। बुलेट का इतिहास काफी पुराना है। बुलेट को पहली बार 1930 के दशक में पेश किया गया था। पहली बुलेट में 250सीसी और 350सीसी में ’स्लॉपर’ ट्विन-पोर्ट ओवरहेड वाल्व लेआउट और 500सीसी में एक स्पोर्टी 4-वाल्व सिलेंडर इंजन मिलता था। बुलेट में 4-स्पीड फुट-चेंज गियरबॉक्स दिया गया था। 1950 के दशक में रॉयल एनफील्ड बुलेट को ट्रायल के लिए ब्रिटिश इंटरनेशनल पैनल को दिया गया। इससे प्रभावित होकर इटली में उस वर्ष की प्रतियोगिता के लिए तीन 350 बुलेट्स को ब्रिटिश टीम में शामिल किया गया। यह बेहद सफल साबित हुआ, क्योंकि दो बुलेट सवारों ने स्वर्ण पदक हासिल किए और ग्रेट ब्रिटेन ने अंतर्राष्ट्रीय ट्रॉफी जीती।
मोटरसाइकिल चलाते हुए लोकप्रिय गाने गाए
1952 में पहली बार बुलेट भारत की सड़क पर दिखी। पंजाब के पटियाला घराने ने बुलेट को खरीदा था। आज भी बुलेट इनके घर की शोभा बढ़ा रही है। 1956 में बुलेट को भारत में बनाने का निर्णय लिया गया। मद्रास में इसकी युनिट खोली गई। रेडडिच बुलेट के पार्ट बनाया करती थी। 1967 में जब रेडडिच फैक्ट्री बंद हो गई, तो एनफील्ड इंडिया ने पार्ट्स का उत्पादन करना शुरू किया। जैसे-जैसे दशक बीतता गया, भारत में निर्मित बुलेट्स में बदलाव भी होते गए। 1970 के दशक में एनफील्ड इंडिया भारतीय सेना और सिविल सेवा के साथ-साथ आम जनता को बड़ी संख्या में 350 बुलेट की आपूर्ति करती थी। कारवां आगे बढ़ और बुलेट लोगों के दिलों में राज करने लगी। भारत में बुलेट सड़क की राजा, सबसे बड़ी और सबसे पावरफुल घरेलू निर्मित मोटरसाइकिल थी। बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय के कारण यह भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा बन गई, जिसमें स्टार अभिनेताओं ने मोटरसाइकिल चलाते हुए लोकप्रिय गाने गाए।
डीजल बुलेट का निर्माण किया
1980 के दशक में बुलेट डिलक्स की शुरुआत के साथ बोल्ड रेड, ब्लू या ग्रीन कलर में क्रोम के साथ आने लगी। 1989 में बुलेट 500 लॉन्च हुई थी। 500 का उद्देश्य रॉयल एनफील्ड के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय बाजारों को ध्यान में रखना था, जहां बाइकर अधिक पावर की मांग करते थे। आयशर मोटर्स ने 1994 में रॉयल एनफील्ड का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया और छोटी क्षमता वाली मशीनों का उत्पादन तुरंत बंद कर दिया। इसके बाद इसने ब्रांड के मिड साइज मोटरसाइकिल सेगमेंट पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में बताया, जिसका इस युग में प्रभावी रूप से मतलब 350 और 500 बुलेट था। भारत की सुपर-किफायती मोटरसाइकिल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए रॉयल एनफील्ड ने डीजल बुलेट का निर्माण किया।
बेहद लोकप्रिय मोटरसाइकिल बनी
1993 में लॉन्च की गई एनफील्ड डीजल को इसके 70 किमी प्रति लीटर माइलेज के कारण ’संभवतः दुनिया की सबसे किफायती मोटरसाइकिल’ के रूप में जाना जाता था। यह दुनिया भर में किसी भी निर्माता द्वारा सबसे अधिक बिकने वाली डीजल मोटरसाइकिल बनने के लिए तैयार थी। 2001 में बुलेट इलेक्ट्रा 350 लॉन्च की गई, जिसने युवा सवारों को आकर्षित किया और इलेक्ट्रा ने तेजी से मार्केट कैप्चर की। 2005 में भारत में रॉयल एनफील्ड के 50 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए मोटरसाइकिलों की 50वीं वर्षगांठ स्मारक सीरीज जारी की गई थी। इनमें इलेक्ट्रिक स्टार्टर, फ्रंट डिस्क ब्रेक और आकर्षक टू-टोन पेंट स्कीम के साथ बुलेट इलेक्ट्रा 5-स्पीड शामिल है। रॉयल एनफील्ड की 500सीसी उत्पादन 2020 में बंद हो गया, लेकिन यूसीई बुलेट 350 आज तक बेहद लोकप्रिय मोटरसाइकिल बनी हुई है।
26 साल के बाद सड़क पर लौटी येचदी बाइक
आइकॉनिक दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी येजदी की करीब 26 साल बाद 2022 में भारतीय बाजार में वापसी हुई थी। क्लासिक लीजेंड्स ने तब आधिकारिक तौर पर तीन नई मोटरसाइकिलों को लॉन्च करके भारत में ऐजदी ब्रांड को फिर से पेश किया था। कंपनी की तीन नई मोटरसाइकिलें येजदी एडवेंचर, येजदी स्क्रैम्बलर और येजदी रोडस्टर थीं। सबसे दिलचस्प खबर यह है कि तीनों बाइक्स के नाम उन मोटरसाइकिलों के वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनसे वे संबंधित हैं। इनका मकसद रेगुलर आवाजाही की तलाश करने वाले ग्राहकों के साथ-साथ ऑफ-बीट सड़कों पर चलने के इच्छुक लोगों को लुभाना था। 2022 के बाद से येजदी भारत की बाजारों की बादशाह बन गई। 2024 मे येजदी के ग्राहकों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। ग्राहकों को पहले से येजदी की बुकिंग करानी पड़ रही है। खास बात यह है कि इन्हें इसके लिए जावा येजदी शोरूम के रूप में फिर से तैयार किया गया है। कंपनी बाइक्स को बेचने के लिए 300 जावा डीलरशिप का इस्तेमाल कर रही है।
1961 में लांच हुई थी येचदी बाइक
इन तीन मोटरसाइकिलों के साथ येचदी ने 26 साल के बाद भारतीय बाजार में वापसी की है। साल 1961 में भारत में पहली बार लॉन्च किया गया, यह ब्रांड रोडकिंग, मोनार्क और डीलक्स मॉडल्स के साथ लोकप्रिय हो गया। हालांकि, दोपहिया निर्माता ने साल 1996 में अपनी बाइक का उत्पादन बंद कर दिया था। येचदी भारत के शोरूम से गायब हो गई। जिनके पास येचदी थी, वह उन्हें संभल कर रखा। येचदी ने पेट्रोल के साथ डीजल से चलने वाली बाइक भी एक वक्त लांच की थी। तब येचदी ने बुलेट और राजदूत को सीधी टक्कर दी थी। बुलेट के मुकाबले येचदी के रेट कम थे। वनज भी कम था। ऐसे में येएचदी गांव की पहली पसंद बनी थी। जब येचदी का निर्माण रूका तो दो पहिया शौकीन लोगों को दिलों को चोट पहुंची थी पर अब पूराने जमाने की येचदी एकबार फिर नए कलेवर और उम्दा शक्ति के साथ बाजार में आ गई है।
फिर से आग गई राजदूत बाइक
राजदूत का नाम सुनते ही कई लोगों को अपनी युवा अवस्था की याद आ जाती है। जब यह बाइक भारतीय सड़कों पर धूम मचाती थी। अब भारतीय बाजार में राजदूत 350 बाइक एक बार फिर चर्चा में है। यह बाइक अपने पुराने दिनों की याद दिलाती है और अब नए अवतार में पेश की जा रही है। नई राजदूत 350 का डिजाइन क्लासिक और आधुनिक का बेहतरीन मिश्रण है। इसमें गोल हेडलाइट्स, चौड़े हैंडलबार और लंबी सीट जैसी विशेषताएं शामिल हैं, जो इसे एक आकर्षक लुक देती हैं। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, राजदूत 350में कई आधुनिक सुरक्षा सुविधाएं शामिल की गई हैं। राजदूत 350 के इंटीरियर्स को भी अपडेट किया गया है। इसमें डिजिटल स्पीडोमीटर, स्मार्टफोन कनेक्टिविटी और यूएसबी चार्जिंग पोर्ट जैसी सुविधाएं शामिल हैं। नई राजदूत 350 की कीमत लगभग 1.50 लाख रूपए से शुरू होती है।
1962 में लांच हुई थी राजदूत बाइक
राजदूत मोटरसाइकल भारत की एक प्रतिष्ठित मोटरसाइकल ब्रैंड थी। राजदूत मोटरसाइकल्स मजबूती और टिकाऊपन के लिए जानी जाती थीं, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां उनकी मांग बहुत ज्यादा थी। राजदूत मोटरसाइकल को लेकर कहा जाता था कि यह भारत की सड़कों पर राज करती है। वर्ष 1948 में एस्कॉर्ट्स लिमिटेड की स्थापना हर प्रसाद नंदा द्वारा की गई। 1960 में एस्कॉर्ट्स ने जर्मन कंपनी फोर्ड राइन के साथ करार किया। इसके बाद 1962 में राजदूत नामक पहली मोटरसाइकिल लॉन्च की गई, जो फोर्ड राइन ज्ंनदने 175 का इंडियन वर्जन थी। राजदूत 175 भारतीय बाजार में तुरंत लोकप्रिय हो गई। इसकी मजबूती, ईंधन दक्षता और किफायती दाम ने इसे आम आदमी की पसंद बना दिया।
2005 में राजदूत का उत्पादन हो गया था बंद
1980 के दशक में जापानी मोटरसाइकिल निर्माताओं ने भारतीय बाजार में प्रवेश किया। इनकी मोटरसाइकलें अधिक उन्नत, स्टाइलिश और ईंधन कुशल थीं। राजदूत धीरे-धीरे पुरानी होती गई और इसकी बिक्री कम होने लगी। 1990 के दशक में राजदूत बाइक का उत्पादन बंद हो गया था। साल 2005 में एस्कॉर्ट्स ने मोटरसाइकिल व्यवसाय से बाहर निकलने का फैसला किया। राजदूत मोटरसाइकल्स का उपयोग कई फिल्मों और टीवी शो में किया गया है। खासियत की बात करें तो इसमें 2 स्ट्रोक इंजन लगे होते थे, जो कि पावरफुल और ईंधन कुशल थे। इनमें 4-स्पीड गियरबॉक्स के साथ ही सिंगल-बीम हेडलाइट, सिंगल-बीम टेललाइट और सिंगल-सीट या डबल-सीट जैसी खूबियां थी।