Gold as Collateral: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने किसानों और छोटे व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए बड़ी राहत देने वाला फैसला किया है। अब अगर कोई व्यक्ति खुद की मर्जी से सोना या चांदी जैसे गहने गिरवी रखकर लोन लेता है, तो भी उसे बिना गारंटी वाला लोन ही माना जाएगा।
RBI ने साफ कर दिया है कि यह सुविधा केवल तब लागू होगी जब उधार लेने वाला खुद से गहने गिरवी रखे। बैंक इस मामले में किसी भी ग्राहक पर दबाव नहीं बना सकते। अगर कोई उधार लेने वाला अपनी इच्छा से अपने गहने लोन के बदले देता है, तो बैंक उसे स्वीकार कर सकते हैं, लेकिन फिर भी वो लोन बिना गारंटी वाला ही माना जाएगा।
गांवों में किसानों और छोटे व्यापारियों को होगा फायदा
यह फैसला खासतौर पर गांवों में रहने वाले छोटे किसानों और MSME क्षेत्र के लोगों को ध्यान में रखकर लिया गया है। ग्रामीण इलाकों में लोग आमतौर पर सोना और चांदी को अपनी सबसे मूल्यवान संपत्ति मानते हैं। अब वे जरूरत पड़ने पर इन गहनों का इस्तेमाल करके आसानी से लोन ले सकेंगे। इससे लोन की प्रक्रिया तेज होगी और लोगों को साहूकारों या गैर-कानूनी स्रोतों से कर्ज लेने की मजबूरी नहीं रहेगी।
पहले क्यों आई थी दिक्कत?
साल 2023 में भी RBI ने निर्देश दिया था कि अगर लोन के बदले गहने लिए जाएं, तो उसे गोल्ड लोन की श्रेणी में रखा जाए। लेकिन इससे दिक्कत यह आई कि गोल्ड लोन पर सख्त नियम लागू होते हैं, जबकि खेती-बाड़ी से जुड़े लोन में अक्सर मौसमी राहत दी जाती है। इस कारण कई सरकारी बैंकों का गोल्ड लोन पोर्टफोलियो तो बढ़ गया, लेकिन किसानों के लिए कर्ज पाना और मुश्किल हो गया।
बैंकों को कैसे होगा फायदा?
इस नए नियम से बैंकों को भी सुरक्षा मिलेगी, क्योंकि गिरवी रखे गहनों की वजह से उनका रिस्क कम होगा। इससे बैंक आत्मविश्वास से उन लोगों को लोन दे पाएंगे जिन्हें अब तक जोखिम भरा माना जाता था। साथ ही यह फैसला बैंकों को प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के टारगेट पूरे करने में भी मदद करेगा, जिससे उनकी प्रदर्शन रेटिंग सुधर सकती है।
क्या-क्या चीजें गिरवी रख सकते हैं?
इस योजना के तहत सिर्फ फिजिकल गहने, जैसे सोने-चांदी के जेवर, सिक्के या आभूषण गिरवी रखे जा सकते हैं। डिजिटल गोल्ड या सोने के सर्टिफिकेट इस नियम के दायरे में नहीं आते।