नई दिल्ली। भारत के ISRO द्वारा चंद्रयान-3 मिशन हर दिन सफलता की नई उंचाईयों को छू रहा है. अब भारतीय उपग्रह इतिहास रचने के और भी करीब हो गया है. चांद की सतह पर इसकी लैंडिंग को अब मात्र 6 दिन का समय बचा है. आज विक्रम लैंडर को चंद्रयान-3 से अलग होगा और इसके बाद चांद की दक्षिणी ध्रुप पर 23 अगस्त के दिन चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश होगी.
चंद्रमा की सारी कक्षा हुई पार
ISRO ( भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ) द्वारा ये जानकारी दी गई है कि, 17 अगस्त यानी गुरुवार को लैंडर को उपग्रह से अलग किया जाएगा. देश के महत्वाकांक्षी मिशन मिशन मून के अंतर्गत चंद्रयान हर दिन नई उंचाईयों को सफलतापूर्वक छू रहा है. यह भारतीय उपग्रह चांद की पाचंवी और आखिरी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया है और इसके चांद की जगह पर उतरने में मात्र कुछ दिनों का ही फासला रह गया है.
डीबूस्ट सिस्टम गुजरना होगा
बता दें कि आगे उपग्रह से अलग होने के बाद लैंडर विक्रम को 30 किमी के निकटतम बिंदु और 100 किमी के सबसे दूर बिंदू वाली कक्षा में स्थापित करने के लिए डीबूस्ट यानी धीमी करने की प्रक्रिया से गुजरनी होगी. इसके बाद 23 अगस्त के दिन उपग्रह को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराया जाएगा. कई इसरो के वैज्ञानिकों का मानना है कि, जिस तरह से चंद्रयान-3 धीरे-धीरे नए आयामों को छू रहा है, वो चांद की सतह पर लैंड होने के लिए बिल्कुल तैयार है.
ये है चंद्रयान-3 का अंतिम पड़ाव
गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने बताया कि चांद की सतह पर लैंडिंग कराने का सबसे जरूरी हिस्सा लैंडर की गति को 30 किलोमीटर ऊंचाई पर धीमी करना और अंतिम लैंडिंग तक के लिए लाना है. इसके अलावा व्हीकल को हॉरिजॉन्टल से वर्टिकल करने में भी अपनी क्षमता दिखानी होगी. यह चंद्रयान-3 का अंतिम पड़ाव है.