आपने कहावत तो सुनी होगी दो बिल्लियों की लड़ाई में बंदर बाजी मार लेता है। ऐसा ही कुछ राजस्थान में भी देखने को मिल सकती है। दरअसल कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट को सीएम बनाने का संकेत दे चुका है। वहीं दूसरी और गहलोत खेमा सचिन पायलट के नाम पर भड़क उठा है। लेकिन अब ये मामला कोई और ही मोड़ ले रहा है। गहलोत और कांग्रेस परिवार की कहानी में नया मोड आ गया है। कमलनाथ को आलाकमान दिल्ली बुलाया गया है। जिसके बाद उन्हें अध्यक्ष बनाने का अटकलें तेज हो गई है।
गहलोत की छवि भी हुई प्रभावित
कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष के बाद अब राजस्थान के सीएम पद के लिए राजनीति तेज हो गई है। इन हालातों के बाद कई सवाल उठने लगा है। बता दें कि इस पूरे घटनाक्रम से गहलोत की छवि भी प्रभावित हुई है।क्योंकि अशोक गहलोत के बारे में अब तक यह धारणा थी कि वे हाईकमान की सारी बातें मानते हैं। लेकिन कल के घटना के बाद नजरिया बदल गया है। गहलोत के समर्थक विधायकों ने जिस तरह का डिमांड चार्टर रखा है उसने नरेटिव बदल दिया है।
सचिन पायलट होंगे सीएम
केंद्र की राजनीति में गहलोत विरोधियों को अब बोलने का मौका मिल गया है। जिसके बाद अब अध्यक्ष पद पर नामांकन को लेकर भी संशय पैदा हो गया है।वहीं सचिन पायलट को हाईकमान की और से मुख्यमंत्री बनाने का आश्वासन दिया गया है। लेकिन गहलोत खेमे के विधायकों ने सचिन पायलट का रास्ता रोक लिया है। क्योंकि पायलट के नाम पर 70 से ज्यादा विधायकों ने इस्तीफा सौंप दिया है।गहलोत अगर अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें सीएम पद छोड़ना होगा। अजय माकन ने भी इस बात को साफ कर कर दिया है।