नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। Kolkata Doctor Rape-Murder Case: कोलकाता की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को आरजी कर अस्पताल की ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप-हत्या के मामले में दोषी सिविक वालंटियर संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई है। विशेष अदालत के न्यायाधीश अनिर्बान दास ने 18 जनवरी को रॉय को दोषी ठहराया था। जज अनिर्बान दास ने संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता की धारा- 64 (बलात्कार के लिए सजा), 66 (मृत्यु का कारण बनने के लिए सजा) और 103 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया। सियालदह कोर्ट के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने मुकदमा शुरू होने के 59 दिन बाद फैसला सुनाया।
क्या है पूरा मामला
पिछले साल 9 अगस्त को महिला ट्रेनी डॉक्टर का शव आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में अर्धनग्न अवस्था में मिला था। कोलकाता पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और क्राइम सीन से मिले साक्ष्यों के आधार सिविक वालंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया था। कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने इस केस को अपने हाथों में ले लिया था और जांच शुरू की थी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने भी अपनी चार्जशीट में संजय रॉय को ही मुख्य आरोपी माना था और उसके लिए कोर्ट से सजा-ए-मौत की मांग की थी। करीब 57 दिनों तक कोर्ट में सुनवाई चली। कोर्ट ने दो दिन पहले आरोपी को दोषी करार देते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया था।
कुछ इस तरह से बोला आरोपी
रॉय को सुबह करीब 10.15 बजे जेल से कोर्ट लाया गया। कोर्ट और आसपास के इलाके में सुरक्षा के लिए 2 डिप्टी कमिश्नर, 5 असिस्टेंट कमिश्नर, 14 इंस्पेक्टर, 31 सब-इंस्पेक्टर, 39 असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर, 299 कॉन्स्टेबल और 80 महिला पुलिसकर्मी तैनात की गई हैं। संजय रॉय की सजा के लिए 160 पेज का फैसला लिखा गया है। फैसले के बाद दोषी संजय ने कहा, मुझे इस मामले में फंसाया गया है। मैंने यह काम नहीं किया। जिन्होंने ये काम किया है, उन्हें जाने दिया गया। एक आईपीएस इसमें शामिल है। मैं रुद्राक्ष की माला पहनता हूं और अगर मैंने अपराध किया होता तो यह टूट जाती।
दो आरोपियों को मिली जमानत
सियालदह कोर्ट में केस का ट्रायल 12 नवंबर 2024 को शुरू हुआ था, इसके 57 दिन बाद संजय को दोषी करार दिया गया। अदालत ने फोरेंसिक रिपोर्ट को सजा का आधार बनाया। घटनास्थल और पीड़ित डॉक्टर की बॉडी पर भी संजय का डीएनए मिला था। वहीं संजय रॉय के अलावा मामले में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भी आरोपी बनाया गया, लेकिन सीबीआई 90 दिन के अंदर घोष के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर पाई, जिस कारण सियालदह कोर्ट ने 13 दिसंबर को घोष को इस मामले में जमानत दे दी। ताला थाने के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल को भी चार्जशीट दायर न करने के कारण जमानत दी गई।
डीएनए साबित हुआ अहम
संजय की जींस और जूतों पर पीड़िता का खून पाया गया था। संजय का डीएनए मौके पर मिले सबूतों से मैच हुआ था। संजय के शरीर पर चोट के जो 5 निशान मिले थे, वे उसे 24 से 48 घंटे के दौरान लगे थे। यह ब्लंट फोर्स इंजरी हो सकती है, जो पीड़ित से अपने बचाव के दौरान हुई होगी। इसी के जरिए पुलिस संजय को पकड़ने में कामयाब रही। हॉस्पिटल में लगे सीसीटीवी कैमरे में संजय रॉय 9 अगस्त की सुबह 4ः03 मिनट पर वार्ड में आता दिखा था। उसने टी-शर्ट और जींस पहनी थी। बाएं हाथ में हेलमेट पकड़ा था।
कौन है संजय रॉय
संजय ने 2019 में कोलकाता पुलिस के तहत डिजास्टर मैनेजमेंट ग्रुप के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करना शुरू किया था। इसके बाद वह वेलफेयर सेल में चला गया। अच्छे नेटवर्क की बदौलत उसने कोलकाता पुलिस की चौथी बटालियन में आवास ले लिया। इस आवास की वजह से आरजी कर अस्पताल में नौकरी मिली। वह अक्सर अस्पताल की पुलिस चौकी पर तैनात रहता था, जिससे उसे सभी विभागों में एक्सेस मिली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजय की कई शादियां असफल रहीं। रॉय ने पूछताछ करने वाले अधिकारियों को बताया कि कथित तौर पर युवा डॉक्टर के साथ क्रूरता से कुछ घंटे पहले वह दो बार रेड-लाइट एरिया में गया था।