कौन है मौलवी इरफान, जिसने डॉक्टर उमर को बनाया फिदायीन, जैश के चमचे ने शाहीन के अंदर कुछ ऐसा भरा बारूद

दिल्ली को लहूलुहान करने में जम्मू-कश्मीर के मौलवी इरफान का अहम रोल है। इस आतंकी ने पहली बार भारत के अंदर सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल को खड़ा किया।

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली ब्लास्ट के गुनहगारों की एक-एक कर कुंडली बाहर निकल कर आ रही है। इस आतंकी हमलें में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ बताया जा रहा है। मास्टरमाइंड के नाम का भी खुलासा हो गया है। दिल्ली को लहूलुहान करने में जम्मू-कश्मीर के मौलवी इरफान का अहम रोल है। इस आतंकी ने पहली बार भारत के अंदर सफेद कॉलर टेरर मॉड्यूल को खड़ा किया। इरफान ने ही डॉक्टर को उमर को फिदायीन बनाया और डॉक्टर शाहीन के अंदर जिहादी बारूद भरा। ऐसे में हम आपको इस मौलवी के बारे में बताते हैं। कौन है इरफान और कैसे खड़ा की कटट्रपंथी डॉक्टरों की फौज।

भारत की राजधानी दिल्ली में पहली बार ’व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ सामने आया। कट्टरपंथी डॉक्टरों की टोली ने देश को दहलाने की बड़ी साजिश तैयार की। करीब 2900 किलो विस्फोटक पदार्थ जमा किया। आतंकी कई शहरों में ब्लास्ट करना चाहते थे, लेकिन जम्मू-कश्मीर ने उनके मंसूबों में पानी फेर दिया। ’व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ का मास्टरमाइंड मौलवी पुलिस के हत्थे चढ़ गया और जैश का पूरा खेला खत्म हो गया। इरफान के अलावा कई अन्य डॉक्टर्स दबोचे गए, लेकिन उमर भागने में कामयाब रहा। आतंकी डॉक्टर ने दिल्ली के लालकिला के पास खुद को कार समेत उड़ा लिया, जिससे दर्जनभर लोगों की मौत हो गई। जबकि 30 से अधिक लोग घायल हो गए। डॉक्टर उमर की डीएनए रिपोर्ट आ गई है, जिससे उसके शव की पहचान भी हो गई है।

फरीदाबाद मॉड्यूल का मास्टरमाइंड मौलवी इरफान अहमद है, जो कि जम्मू और कश्मीर के शोपियां का रहने वाला है। फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल में जितने भी डॉक्टर शामिल हैं, उन सबको मौलवी इरफान ने ही कट्टरपंथी बनाया है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, ’मौलवी इरफान अहमद ने मेडिकल स्टूडेंट्स को कट्टरपंथी बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में पैरामेडिकल था और सभी स्टूडेंट्स से लगातार संपर्क में था। वह नौगाम मस्जिद का इमाम भी था। ं सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मौलवी इरफान ने फरीदाबाद के मेडिकल छात्रों को कट्टरपंथी बनाने के लिए काम किया। जांच एजेंसियों के अनुसार, इरफान जैश-ए-मोहम्मद से प्रेरित है और छात्रों को उसके वीडियो दिखाता रहता था। वह अफगानिस्तान में किसी से वीओआईपी पर बातें भी करता था।

जानकारी के अनुसार उसका काम यह सुनिश्चित करना था कि छात्र कट्टर बनें और डॉक्टर मुजम्मिल शकील और डॉक्टर मोहम्मद उमर, इरफान के इसी काम को आगे बढ़ाने में लगे हुए थे। सूत्र ने कहा, शाहीन सिर्फ मदद करती थी, लेकिन दिमाग इरफान का था। मौलवी इरफान अहमद ने टेलीग्राम पर कई अकाउंट बना रखे थे। इसी के माध्यम से वह जैश-ए-मोहम्मद का प्रोपेगेंडा करता था। सूत्र के अनुसार, उसने अफगान युद्ध के समय के उपदेश भी चुनिंदा छात्रों को दिखाए थे। जांचकर्ताओं के अनुसार संदेह है कि उसे अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत से किसी हैंडलर से वैचारिक और मौखिक निर्देश मिलते थे। सूत्र बताते हैं कि इरफान ने ही श्रीनगर में डॉक्टर शकील के साथ जैश के पोस्टर चिपकवाए थे। इसी के वह पुलिस की रडार में आया। पुलिस ने इरफान को मस्जिद से अरेस्ट कर लिया था। उसके पास से जैश के पोस्टर भी बरामद किए गए थे।

मौलवी से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने डॉ. अदील अहमद राथर और जमीर अहनगर को गिरफ्तार किया। ये दोनों भी इरफान के ही गुर्गे हैं। इन्हीं से पूछताछ के आधार पर जम्मू और कश्मीर पुलिस डॉ.मुजम्मिल शकील तक पहुंची। यह मौलवी के कमरे से ही अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। मुजम्मिल फरीदाबाद के धौज स्थित अल फलह यूनिवर्सिटी में काम करता है। मौलवी के तार दिल्ली धमाकों के लिए जिम्मेदार माने जा रहे डॉ. मोहम्मद उमर से भी जुड़े हुए थे, जिसके बारे में बताया जा रहा है कि फरीदाबाद मॉड्यूल के पर्दाफाश होने के बाद उसने दिल्ली में ब्लास्ट कर खुद को उ़ड़ा लिया। उत्तर प्रदेश की रहने वाली महिला डॉ. शाहीन सईद फरीदाबाद मॉड्यूल की फाइनेंसर और मददगार के रूप में सामने आ रही है। खुफिया सूत्रों के अनुसार शाहीन, उमर के संपर्क में अल फलह यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही आई थी, जहां पर यह मौलवी काफी सक्रिय था।

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