नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को Delhi excise policy case में भेजे गए 8 समन के बाद मुख्यमंत्री ने अपना जवाब दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स की खबरें की माने तो आप नेता ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भेजे जा रहे समन के जवाब में कहा है कि वह 12 मार्च के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में अपने सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हैं। इससे पहलें उन्होंने अब तक प्रवर्तन निदेशालय के आठ समन को नजरअंदाज कर दिया। ईडी के समन को उन्हें अवैध बताया और एजेंसी को मामले को अदालत में होने के कारण इंतजार करने के लिए कहा।
12 मार्च के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम देंगे जवाब
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्यमंत्री ने Delhi excise policy case में एजेंसी को भेजे अपने जवाब में कहा कि समन “अवैध” हैं लेकिन फिर भी वह जांच एजेंसी के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हैं। इसके लिए उन्हें 12 मार्च के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में अपने सवालों का जवाब देने को तैयार हैं। गौरतलब है मुख्यमंत्री को 16 मार्च को अदालत में पेश होना है। अदालत ने जांच एजेंसी द्वारा समन जारी न करने को लेकर दायर एक शिकायत मामले में उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की है।
अरविंद केजरीवाल को ईडी का समन
ईडी ने Delhi excise policy 2021-22 मामले में अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच में अरविंद केजरीवाल को 27 फरवरी को आठवां समन जारी किया था। समन में मुख्यमंत्री को 4 मार्च को जांच में शामिल होने के लिए कहा। अभी तक मुख्यमंत्री को ईडी द्वारा 26 फरवरी, 19 फरवरी, 2 फरवरी, 18 जनवरी, 3 जनवरी, 2 नवंबर और 22 दिसंबर को समन को जारी किया गया था। जिसे मुख्यमंत्री नें अवैध बताते हुए अनदेखा कर दिया था। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उत्पाद नीति के निर्माण को अंतिम रूप देने से पहले हुई बैठकों और रिश्वतखोरी के आरोपों जैसे मुद्दों पर अरविंद केजरीवाल का बयान दर्ज करना चाहता है।
क्या है Delhi excise policy case मामला?
केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति (2021-22) के गठन और कार्यान्वयन में कई अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली एक प्राथमिकी पर आधारित है। 2022 में गोवा में दायर एक चार्ज शीट में आप नेता संजय सिंह और उनके सहयोगी सर्वेश मिश्रा का नाम लेते हुए, ईडी ने दावा किया है कि AAP ने अपने विधानसभा चुनाव अभियान के लिए पॉलिसी के माध्यम से उत्पन्न ₹45 करोड़ की रिश्वत का इस्तेमाल किया। । उत्पाद शुल्क नीति का उद्देश्य शहर के झंडे वाले शराब व्यवसाय को पुनर्जीवित करना और व्यापारियों के लिए लाइसेंस शुल्क के साथ बिक्री-मात्रा-आधारित व्यवस्था को बदलना था। इस नीति में दिल्ली में पहली बार शराब की खरीद पर छूट और ऑफर पेश किए गए। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप के बाद इसे वापस ले लिया गया।