नई दिल्ली: दिल्ली में मौजूद तीन नगर निगम को फिर से एक करने की कवायद चल रही है। इसे एक करने के लिए विधेयक तैयार है अब उसे संसद में पास कराना भर रह गया है। क्योंकि बीजेपी के पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह बहुमत है ऐसे में बिल आसानी से पास हो जाएगा। इसके बाद तीनों नगर निगम को भंग करके चुनाव कराए जाएंगे। हालांकि चुनाव कब तक होंगे, इसे लेकर स्थिति साफ नहीं है।
2011 से पहले दिल्ली में एक ही एमसीडी थी। शीला दीक्षित सरकार ने इस तीन हिस्सों (पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम) में बांट दिया था। बंटवारे के बाद से तीनों एमसीडी को आर्थिक परेशानी होने लगी। दरअसल, साउथ एमसीडी को छोड़ दिया जाए तो बाकी दो एमसीडी के पास इनकम के स्रोत बहुत कम हैं। इनके अंतर्गत आने वाली अधिकतर कॉलोनियां अवैध हैं, ऐसे में इन जगहों से टैक्स से आय़ न के बराबर होती है, जबकि अलग-अलग सदन, अलग-अलग मेयर औऱ अलग-अलग स्टाफ होने की वजह से खर्चा बढ़ गया। देखते ही देखते तीनों एमसीडी की स्थिति बिगड़ती गई और स्टाफ को सैलरी और पेंशन देने में भी दिक्कत आने लगी। इन सबको देखते हुए ही एमसीडी को एक करने का फैसला किया गया।
अभी साउथ एमसीडी को छोड़कर ईस्ट और नॉर्थ एमसीडी दोनों की ही हालत बेहद खराब है। यहां ईडीएमसी के शिक्षकों को नवंबर 2021 से सैलरी नहीं मिली है। ईस्ट एमसीडी के पेंशनधारियों को सितंबर 2021 से पेंशन नहीं मिली है। ए ग्रुप के कर्मचारियों को अक्टूबर 2021 के बास से वेतन नहीं मिला है। अब अगर नॉर्थ एमसीडी की बात करें तो यहां टीचर्स को जनवरी से सैलरी नहीं मिली है। यहां के पेंशनधारियों को सितंबर 2021 से पेंशन नहीं मिल रही है।
वही सरकार का कहना है कि एकीकरण से इनकी समस्या दूर होगी। लेकिन इसमें थोड़ा टाइम लग सकता है। काफी हद तक एमसीडी की इनकम बढ़ जाएगी, खर्चे कम हो जाएंगे। ऐसे में एमसीडी की वित्तीय स्थिति भी ठीक हो जाएगी। अगर एमसीडी एक होती है तो तीन मेयर पर अलग से होने वाला लाखों का खर्च बचेगा। तीनों सदनों में होने वाला खर्च बचेगा। टैक्स से होने वाली इनकम एक साथ एक जगह जमा होगी, खर्च का बजट भी एक जगह बनेगा। ऐसे में भी बजट संतुलित होगा। तीन जगह फैसला न लेकर एक जगह से ही फैसला हो जाएगा।