नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी (AAP) चुनाव में मुफ्त योजनाओं की घोषणाओं के बचाव में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गई है. इस संदर्भ में आप ने मांग की है कि उन्हें भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाए. आप ने ऐसी घोषणाओं को राजनीतिक दलों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार बताया है.
आम आदमी पार्टी (AAP) ने अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) को बीजेपी (BJP) का सदस्य बताते हुए इस मामले में याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल खड़ा किया है. हालांकि इससे पहले अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को केंद्र सरकार को निर्देश दिया था.
वह रिजर्व बैंक, नीति आयोग और अन्य संस्थाओं और विपक्षी दलों के साथ विचार कर रिपोर्ट तैयार कर न्यायालय के समक्ष रखे. अश्विनी उपाध्याय ने उन राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की मांग की है जो चुनावों के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार की घोषणा करते हैं.
अब इस मामले की सुनवाई 11 अगस्त को होगी. याचिका में कहा गया है कि आजकल यह एक राजनीतिक फैशन बन गया है. पार्टियां अपने घोषणापत्र में मुफ्त बिजली की घोषणा करती हैं. ऐसी घोषणा तब भी की जाती है जब सरकार लोगों को 16 घंटे बिजली भी नहीं दे पाती है.
याचिका में ये भी कहा गया है कि मुफ्त बिजली की घोषणा, इस तरह की घोषणाओं का लोगों के रोजगार, विकास या कृषि सुधारों से कोई लेना-देना नहीं है. ये घोषणाएं वोटरों को रिझाने के लिए की जाती हैं.
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