Supreme Court : इस वर्ष जुलाई में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में ‘नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल्स’ नाम की एक नई नीति लागू की थी। इसके तहत 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन देने पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन, जब जनता में इस फैसले को लेकर तीव्र असंतोष देखने को मिला, तो दिल्ली सरकार ने आयोग से इस निर्णय को वापस लेने का आग्रह किया। जनभावनाओं को देखते हुए CAQM ने भी घोषणा के महज दो दिन बाद ही इस नीति पर अस्थायी रोक लगा दी थी।
अब इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति विनोद के. चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने की। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें पुराने वाहनों पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने CAQM को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। साथ ही, अंतरिम राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों या उनके मालिकों के खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
जनरल तुषार महता ने क्या कहा ?
दिल्ली सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि इस मुद्दे पर दोबारा विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने तर्क दिया कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाया गया प्रतिबंध अब आम लोगों के लिए समस्याजनक साबित हो रहा है। कई वाहन ऐसे हैं जो सालभर में महज कुछ हजार किलोमीटर ही चलते हैं, फिर भी उन्हें 10 या 15 साल पूरे होते ही जबरन हटाना पड़ता है। इसके विपरीत, टैक्सी वाहन जो साल में लाखों किलोमीटर चलते हैं, वे पूरी आयुसीमा तक उपयोग में रहते हैं। ऐसे में यह नीति असंतुलित और आमजन के हित में नहीं है।
यह भी पढ़ें : कपिल शर्मा के शो में ‘दादी’ बनकर खूब हंसाया, अब बिग बॉस में…
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 2018 के अपने आदेश की समीक्षा की मांग करते हुए कहा कि सीमित उपयोग वाले वाहनों को भी इस नीति के तहत हटाया जाना आम जनता पर अन्याय है। सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम बिना दूसरे पक्ष की बात सुने कोई निर्णय नहीं ले सकते।” इसके साथ ही अदालत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को नोटिस जारी करते हुए विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया।