Delhi News : दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने राजधानी में महिला कामगारों की बढ़ती हिस्सेदारी और मजदूरी में जारी लैंगिक असमानता को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ती महंगाई के चलते अब सिर्फ पुरुष की कमाई से परिवार चलाना संभव नहीं, इसलिए महिलाएं भी बड़ी संख्या में कार्यक्षेत्र में कदम रख रही हैं, लेकिन उन्हें अब भी पुरुषों के बराबर वेतन नहीं मिल रहा है।
महिला श्रमिकों की संख्या में वृद्धि
यादव ने दिल्ली राज्य फ्रेमवर्क इंडिकेटर रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि राजधानी में महिला कामगारों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है। हालांकि, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अब भी कम मजदूरी दी जा रही है, जो कि चिंताजनक है। उन्होंने सवाल किया कि जब देशभर में न्यूनतम वेतन तय है, तो फिर महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम भुगतान क्यों किया जा रहा है? और इस असमानता का जिम्मेदार कौन है?
देवेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से आग्रह किया कि महिलाओं की मजदूरी में असमानता के कारणों की जांच के लिए हाईकोर्ट की सेवानिवृत्त महिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यह समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे, ताकि राजधानी की महिलाओं को समान वेतन सुनिश्चित किया जा सके।
महिलाओं के हक़ में नहीं है नीतियां
यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने महिला सहानुभूति हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री महिला को बनाया, लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा 2500 रुपये मासिक सहायता का जो वादा किया गया था, वह सात महीने बीतने के बाद भी पूरा नहीं हुआ है।उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियाँ पूंजीपतियों के हितों को साधने वाली हैं, जबकि आम जनता, खासकर मध्यम और निम्न आय वर्ग, महंगाई और बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं।
भागीदारी बढ़ी, लेकिन वेतन में अंतर कायम
कांग्रेस अध्यक्ष ने रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि:
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2017-18 में महिला-पुरुष श्रम अनुपात 0.19 था, जो 2023-24 में 0.28 हो गया।
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महिला श्रमिक भागीदारी 11.2% से बढ़कर 14.5% हुई।
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बावजूद इसके, 2017-18 में पुरुषों की औसत मजदूरी 400 रुपये, जबकि महिलाओं को केवल 376 रुपये प्रतिदिन मिले।
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2023-24 में भी पुरुषों को 556 रुपये और महिलाओं को सिर्फ 500 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी दी गई।
इसके अलावा, पेशेवर महिलाओं की भागीदारी भी घटी है—2020-21 में 28.5% से गिरकर 2022-23 में 21.3% हो गई। यादव ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी 18,456 रुपये प्रति माह घोषित की है, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होनी है, लेकिन ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों को यह मजदूरी नहीं मिल रही। नगर निगम और अन्य विभागों में मजदूरों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी घटकर केवल 7.14% रह गई है, जो पिछले एक दशक में सबसे न्यूनतम है। देवेंद्र यादव ने इस मुद्दे को सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता से जोड़ते हुए कहा कि महिलाओं की बढ़ती श्रम भागीदारी तभी सार्थक होगी, जब उन्हें समान अवसर और वेतन मिलेगा।