Delhi Mayor Election: दिल्ली में होने वाले मेयर चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बाज़ी मार ली है। 25 अप्रैल को प्रस्तावित चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा उम्मीदवार न उतारने की घोषणा के बाद बीजेपी की जीत निर्विरोध हो गई। आप नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए—Delhi Mayor Election में गड़बड़ी, भ्रष्टाचार और जानबूझकर बैठकों में अवरोध पैदा करने जैसे मुद्दों को उठाया गया। सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने कहा कि भाजपा ने एमसीडी में सत्ता की भूख में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया है। AAP के इस कदम को राजनीतिक रणनीति माना जा रहा है, वहीं बीजेपी इसे अपनी नैतिक जीत बता रही है।
AAP का बीजेपी पर हमला तेज, लगाया चुनाव टालने
Delhi Mayor Election की प्रक्रिया में नामांकन का आखिरी दिन 21 अप्रैल था। इस दिन आम आदमी पार्टी ने प्रेस कांफ्रेंस कर स्पष्ट किया कि वह इस बार मेयर पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। इस घोषणा ने बीजेपी को सीधे-सीधे जीत का रास्ता दे दिया। सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने केंद्र सरकार और उपराज्यपाल पर आरोप लगाया कि 2022 में जब चुनाव की घोषणा होनी थी, तब बीजेपी के कहने पर उसे टाल दिया गया।
उन्होंने दावा किया कि जब 4 दिसंबर को एमसीडी चुनाव कराए गए, तब परिसीमन के जरिए वार्डों को इस तरह बदला गया कि बीजेपी को फायदा और AAP को नुकसान पहुंचे। बावजूद इसके आम आदमी पार्टी को 134 सीटें और बीजेपी को 104 सीटें मिलीं।
बैठकों में ‘तमाशा’ और माइक तोड़ने तक के आरोप
AAP ने आरोप लगाया कि MCD की कार्यवाही में बीजेपी पार्षदों ने बार-बार रुकावटें डालीं। सौरभ ने कहा, “उस समय आज की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता माइक तोड़ रही थीं, नारे लगाए जा रहे थे और मेयर पर हमला किया गया।” उन्होंने कहा कि बीजेपी सिर्फ सत्ता पाने की कोशिश में लोकतंत्र का मजाक बना रही है।
AAP के अनुसार, वह चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बनकर इस तमाशे को वैधता नहीं देना चाहती। वहीं बीजेपी इस पूरे घटनाक्रम को AAP की हार मान रही है।
राजनीतिक संकेत और भविष्य की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आप का Delhi Mayor Election ये कदम बीजेपी को एक्सपोज़ करने की रणनीति हो सकती है। वहीं, बीजेपी को यह नैतिक जीत के रूप में जरूर बल देगा। यह घटनाक्रम दिल्ली की राजनीति में नए सियासी समीकरणों की ओर इशारा कर रहा है, जहां पार्षदों की संख्या से आगे अब रणनीति और नैरेटिव की लड़ाई तेज हो चुकी है।