Delhi Earthquake: 17 फरवरी को दिल्ली-NCR और उत्तर भारत के कई शहरों में एक जोरदार भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.0 मापी गई, जो कि काफी तेज था। लोग डर गए और अपनी-अपनी घरों से बाहर निकल आए, लेकिन राहत की बात यह रही कि इस भूकंप से किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं आई। हालांकि, दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में भूकंप आना असामान्य नहीं है। इसकी वजह भौगोलिक स्थिति है, क्योंकि दिल्ली-NCR सीस्मिक जोन-4 में आता है। आइए जानते हैं कि लुटियंस जोन क्या होते हैं और क्यों दिल्ली में भूकंप आना सामान्य है।
लुटियंस जोन क्या होते हैं
लुटियंस जोन वे क्षेत्र होते हैं जहां भूकंप आने का खतरा अधिक होता है। दुनिया भर में ऐसे कई इलाके हैं, जिन्हें अलग-अलग लुटियंस जोन में बांटा गया है। भारत में सीस्मिक जोन को 2 से लेकर 5 तक बांटा गया है। जिन इलाकों में भूकंप आने का खतरा सबसे ज्यादा होता है, उन्हें सीस्मिक जोन-5 में रखा गया है। यहां 8 से 9 तीव्रता तक के भूकंप आ सकते हैं। वहीं, दिल्ली-NCR लुटियंस जोन-4 में आता है, जहां 5 से 6 और कभी-कभी 7 से 8 तक तीव्रता वाले भूकंप आ सकते हैं।
दिल्ली-NCR में भूकंप का खतरा क्यों है
दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में भूकंप आना कोई नई बात नहीं है। दिल्ली में कई इलाके ऐसे हैं, जो भूकंप के लिहाज से ज्यादा जोखिम में हैं। यमुना नदी के किनारे वाले इलाके, नॉर्थ दिल्ली और साउथ वेस्ट दिल्ली के कुछ हिस्से सीस्मिक जोन-4 में आते हैं, जो भूकंप के लिए अधिक संवेदनशील हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी का नॉर्थ कैंपस, सरिता विहार, गीता कॉलोनी, शकरपुर, पश्चिम विहार, वजीराबाद, रिठाला, रोहिणी, जहांगीरपुरी, बवाना, करोल बाग, और जनकपुरी जैसे इलाके सबसे ज्यादा खतरे में हैं। वहीं, कुछ इलाके जैसे इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बुराड़ी और नजफगढ़ भी खतरनाक जोन में आते हैं।
कौन से इलाके भूकंप से सुरक्षित हैं
दिल्ली के कुछ इलाके भूकंप से कम प्रभावित होते हैं। जेएनयू, एम्स, छतरपुर, और नारायणा जैसे इलाके भूकंप के दृष्टिकोण से सबसे सुरक्षित माने जाते हैं। हौज खास को भी भूकंप के लिहाज से कम खतरे वाला जोन माना गया है। इसके अलावा, लुटियंस जोन में स्थित सरकारी भवन और वीआईपी आवास भी उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आते हैं, जबकि यहां के प्रभाव का असर अधिक हो सकता है।
भूकंप क्यों आता है
धरती के अंदर सात टेक्टोनिक प्लेट्स होती हैं, जो हमेशा मूव करती रहती हैं। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं, एक-दूसरे के ऊपर चढ़ती हैं या उनसे दूर जाती हैं, तो धरती हिलने लगती है। इसे भूकंप कहते हैं। भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है।
क्या दिल्ली में भूकंप से बड़ा नुकसान हो सकता है
दिल्ली में भूकंप के झटके आए तो नुकसान हो सकता है, क्योंकि यहां की आबादी घनी है। अगर भूकंप की तीव्रता बढ़ी तो दिल्ली के 6.5 प्रतिशत घरों को उच्च नुकसान और 85 प्रतिशत घरों को मध्यम नुकसान हो सकता है। हालांकि, DDMA का मानना है कि दिल्ली अपनी भूगर्भीय स्थिति की वजह से भूकंप के झटके सहने की क्षमता रखता है।