कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि अगले 25 वर्षों में डीयू को बहुत कुछ करना होगा।
नई दिल्ली। देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सबसे पहले दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपनाया है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने सीयूईटी यानी कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट को भी लागू कर दिया है। यह केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के लिए एकल प्रवेश परीक्षा है। आज से 100 वर्ष पूर्व दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। उस समय इसका बजट केवल 40 हजार रुपए था। वहीं आज दिल्ली विश्वविद्यालय का बजट 838 करोड़ से अधिक है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरा होने पर डीयू की उपलब्धियां गिनाते हुए बताया कि इन 100 वर्षों में दिल्ली विश्वविद्यालय देश के हर घर और हर मन तक पहुंच चुका है। 100 वर्ष पूर्व मात्र 750 छात्रों के साथ शुरू किया गया दिल्ली विश्वविद्यालय आज 6 लाख 6 हजार 228 छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय आज से 100 साल पहले एक मई 1922 को सिर्फ तीन कॉलेजों के साथ शुरू किया गया था। आज दिल्ली विश्वविद्यालय में 90 कॉलेज, 16 फैकल्टी और हजारों शिक्षक हैं। यही कारण है कि 100 वर्ष का हो चुका दिल्ली विश्वविद्यालय न केवल दिल्ली बल्कि पूरे भारत के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में शुमार है। इसके साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय का अपना अलग ही ऐतिहासिक महत्व भी है। शहीद भगत ने एक रात इस संस्थान में गुजारी तो महात्मा गांधी इसके सेंट स्टीफन कालेज में रहे थे।
दिल्ली विश्वविद्यालय को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का कहना है कि भविष्य में हमें रोजगार तलाशने वाले नहीं बल्कि रोजगार पैदा करने वाला बनना होगा और दिल्ली विश्वविद्यालय का इसमें अहम योगदान होगा। उन्होंने कहा कि देश के अमृतकाल में डीयू अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा तो डीयू अपनी स्थापना के 125 वर्ष मना रहा होगा। अगले 25 वर्षों में डीयू को शोध के क्षेत्र में बहुत कुछ करना होगा।
उन्होने डीयू की सराहना करते हुए कहा कि देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को डीयू ने सबसे पहले अपनाया है और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के लिए एकल प्रवेश परीक्षा को लागू करने में भी पहल की है। इसके लिए उन्होने डीयू को भी बधाई दी। उन्होने देश में नए पाठ्यक्रम के लिए भी डीयू से योगदान का आह्वान किया। उन्होने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत की शिक्षा को जड़ों से जोड़ेगी और वैश्विक स्तर पर शिक्षा का भारतीय मॉडल स्थापित करेगी। अपने संबोधन के अंत में उन्होने डीयू के शताब्दी समारोह के आयोजन को लेकर सभी को बधाई दी। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि अगले 25 वर्षों में डीयू को बहुत कुछ करना होगा।
(By: ABHINAV SHUKLA)