CBSE positive affirmations morning assembly update सीबीएसई से जुड़े स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक नई और अहम जानकारी सामने आई है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने मॉर्निंग असेंबली से जुड़ा एक नया बदलाव किया है। इस संबंध में सभी एफिलिएटेड स्कूलों को एक आधिकारिक नोटिस भेजा गया है। शैक्षणिक सत्र 2025-26 से स्कूलों में होने वाली सुबह की सभा यानी प्रातः कालीन असेंबली में रोज़ एक पॉजिटिव संकल्प (positive affirmation) शामिल करना अनिवार्य होगा।
बदलाव का मकसद क्या है?
इस कदम का मुख्य उद्देश्य छात्रों के भावनात्मक और मानसिक विकास को बढ़ावा देना है। साथ ही, स्कूलों में एक सकारात्मक और सम्मानपूर्ण माहौल तैयार करना भी इस पहल का हिस्सा है।
बोर्ड का कहना है कि दिन की शुरुआत अगर अच्छे और सशक्त विचारों के साथ की जाए, तो बच्चों के आत्मविश्वास और सोचने की क्षमता में सुधार आता है।
क्या कहा CBSE ने अपने नोटिस में?
CBSE ने कहा है कि पॉजिटिव संकल्प छोटे लेकिन असरदार वाक्य होते हैं, जो बच्चों के मन में एक सकारात्मक सोच को मजबूत करते हैं। ये संकल्प आत्म-विश्वास, सहनशीलता और संतुलित सोच को बढ़ाते हैं।
बोर्ड के अनुसार, इन विचारों के साथ अगर बच्चे रोज़ जुड़ें, तो उनका मानसिक संतुलन, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और आत्म-छवि बेहतर होती है।
क्या-क्या कह सकते हैं छात्र असेंबली में?
सीबीएसई ने कुछ उदाहरण के रूप में सकारात्मक संकल्प भी दिए हैं, जैसे:
मैं हर हाल में खुश रहता/रहती हूं।
मैं शांत और स्थिर रहता/रहती हूं।
मेरी एकाग्रता और सहनशक्ति अच्छी है।
मैं सेहतमंद खाना खाता/खाती हूं।
मैं गैजेट्स का इस्तेमाल केवल पढ़ाई के लिए करता/करती हूं।
मैं सभी का सम्मान करता/करती हूं।
मैं प्रकृति की देखभाल करता/करती हूं।
स्कूलों को क्या करना होगा?
हालांकि, मॉर्निंग असेंबली में इस बदलाव को लागू करना पूरी तरह से स्कूलों की मर्जी पर छोड़ा गया है। स्कूल चाहें तो हर दिन एक या दो ऐसे छोटे सकारात्मक संकल्प बच्चों से बुलवा सकते हैं।
ये संकल्प सहानुभूति, साहस, आत्म-विश्वास जैसे मूल्यों पर आधारित हो सकते हैं। स्कूल चाहे तो इन वाक्यों को बुलेटिन बोर्ड पर या कक्षा में भी दिखा सकते हैं ताकि बच्चों को याद रखने में आसानी हो।
बोर्ड ने यह भी कहा है कि स्कूल अपनी जरूरत और छात्रों की भाषा समझ के अनुसार इन संकल्पों को किसी भी भाषा में करवा सकते हैं।
CBSE की यह पहल बच्चों को मानसिक रूप से मज़बूत बनाने, आत्म-विश्वास जगाने और स्कूल में सकारात्मक वातावरण बनाने की दिशा में एक अच्छा कदम है। अगर स्कूल और शिक्षक इसमें सहयोग दें, तो यह छोटे बच्चों के लिए बड़ा बदलाव ला सकता है।