दिल्ली में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती समारोह पर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने उन पर लिखी किताब का विमोचन भी किया। लचित दिवस की बधाई देते हुए पीएम ने एक ट्वीट कर कहा कि यह लचित दिवस इसलिए विशेष है क्योंकि हम महान लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती मना रहे हैं, जो एक अद्वितीय साहस के प्रतीक हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच पे असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा , राज्यपाल जगदीश मुखी, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी मौजूद रहे।
भारत का इतिहास सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हमें वीर लाचित की 400वीं जन्म जयंती मनाने का सौभाग्य मिला है। आज देश गुलामी की मानसिकता को छोड़ अपनी विरासत पर गर्व करने के भाव से भरा हुआ है। आज भारत न सिर्फ अपनी सांस्कृतिक विविधता को मना रहा है बल्कि अपनी संस्कृति के ऐतिहासिक नायक-नायिकाओं को गर्व से याद भी कर रहा है। पीएम मोदी ने बताया वीर लाचित बारफूकन का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि हम व्यक्तिगत स्वार्थों को नहीं, बल्कि देश हित को प्राथमिकता दें। हमारे लिए परिवारवाद, भाई-भतीजावाद नहीं बल्कि देश सबसे बड़ा होना चाहिए।
भारत में इन योद्धाओं की कहानी आज भी चलती
असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व शर्मा ने कहा जब औरंगजेब ने देश पर शासन किया तब हमारे देश के इन योद्धाओं छत्रपति शिवाजी, दुर्गादास राठौड, गुरु गोविंद सिंह, लाचित बरफूकन ने इन मुगलो को टिकने नहीं दिया। भारत में सिर्फ औरंगज़ेब, बाबर, जहांगीर, हुमायूं की कहानी नहीं बल्कि लाचित बरफूकन, छत्रपति शिवाजी, दुर्गादास, गुरु गोविंद सिंह की भी कहानी सुनाई जाती है।
मुगल के ख़िलाफ़ लड़ाई में सारे हथियार असम के लोगों ने बनाए
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लचित बोरफुकन पर अपने विचार रखते हुए कहां जिस तरह से ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देशवासियों को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आत्मनिर्भर होने का मार्गदर्शन दिया गया ठीक वैसे ही उनके जरिए सही मायने में लचित बरफुकन को नमन किया गया है। सर्बानंद सोनोवाल आगे बोलें मुगल के ख़िलाफ़ लड़ाई में जो भी हथियार इस्तेमाल किए थे वह सारे हथियार असम के लोगों द्वारा बनाए गये थे।