Delhi school Fees Bill : दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा मनचाहे ढंग से फीस बढ़ाने की प्रथा पर रोक लगाने के लिए एक अहम कदम उठाया है। इसके तहत कैबिनेट ने एक नया मसौदा विधेयक पारित किया है, जिसे जल्द ही विधानसभा सत्र में पेश कर कानून का स्वरूप दिया जाएगा। इस निर्णय की जानकारी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
नए प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, अब स्कूलों को हर वर्ष 31 जुलाई तक आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए फीस का प्रस्ताव तैयार करना होगा और 15 सितंबर तक इसे स्कूल स्तरीय समिति को सौंपना पड़ेगा। समिति 30 से 45 दिनों के भीतर इस प्रस्ताव पर निर्णय लेगी, जिसे आगे जिला और फिर राज्य स्तर की समिति को भेजा जाएगा। अंतिम स्वीकृति के बाद अक्टूबर-नवंबर तक अभिभावकों को सूचित कर दिया जाएगा कि नए सत्र में फीस में क्या बदलाव होगा।
उल्लंघन पर होगा भारी जुर्माना
यदि कोई स्कूल समिति के फैसले के विरुद्ध जाकर अतिरिक्त या मनमानी फीस वसूलता है, तो उस पर 1 लाख से लेकर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। इतना ही नहीं, यदि कोई स्कूल फीस न देने के कारण किसी छात्र को कक्षा से बाहर बैठाता है, तो उस पर प्रति छात्र 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
इस बिल की क्या है खास बात
कि अब निजी स्कूलों को किसी भी तरह की फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय (DoE) से इजाजत लेनी अनिवार्य होगी। पहले यह नियम केवल उन 355 स्कूलों पर लागू होता था जो सरकारी जमीन पर स्थित थे। लेकिन अब इस कानून के तहत दिल्ली के वे सभी 1677 से अधिक निजी स्कूल भी आ जाएंगे जो अब तक इस दायरे से बाहर थे, चाहे वे अनधिकृत जमीन पर बने हों या लीज पर ली गई जमीन पर।
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अभिभावकों की वर्षों पुरानी मांग पूरी
शिक्षा मंत्री ने बताया कि 1973 के मौजूदा शिक्षा कानून में इस तरह के स्पष्ट प्रावधान नहीं थे और पूर्ववर्ती सरकारों ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। लंबे समय से दिल्ली के अभिभावक संगठन स्कूलों की महंगी फीस और मनमानी प्रक्रिया के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। अब यह नया कानून 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा, जिससे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी।