नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज एक बेहद अजीबोगरीब याचिका पर सुनवाई की गई। जिसमें एक शख्स ने परीक्षा में फेल होने के लिए YouTube को दोषी ठहराया। साथ ही कंपनी से 75 लाख रुपये के मुआवजा की भी मांग की। जज ने याचिका देखते ही खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ये याचिका केवल समय बर्बाद करने के उद्देश्य से लगाई गई है। इतना ही नहीं बेंच ने इस याचिका को अत्याचारी तक करार करते हुए शख्स पर 25 हजार रुपये का जुर्माना ठोक दिया।
तर्क सुनकर भड़के जज
दरअसल युवक ने याचिका में आरोप लगाया था कि YouTube पर अश्लील विज्ञापन आते हैं। जिन्हें देखकर उसका ध्यान भटक गया और वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे सका। इस वजह से वह परीक्षा में फेल कर गया। युवक का ऐसा तर्क सुनते ही जज भड़क गए। बेंच ने सुनवाई के दौरन कहा कि आप मुआवजा चाहते हैं क्योंकि आपने इंटरनेट पर विज्ञापन देखे और आपका कहना है कि इसके कारण आपका ध्यान भटक गया। इसलिए आप पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा सके और परिक्षा में फेल हो गए। पीठ ने आगे कहा कि यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई जो सबसे अत्याचारी याचिकाओं में से एक है। इस तरह की याचिकाएं दायर करना न्यायिक समय की बर्बादी हैं।
एक लाख से घट कर 25 हजार कैसे हुआ जुर्माना
बता दें कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वह एक परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इस दौरान उसने YouTube की सदस्यता ली। जहां उसने कथित यौन सामग्री वाले विज्ञापन देखे तो उसका ध्यान भड़क गया। पीठ ने कहा कि अगर आपको कोई विज्ञापन पसंद नहीं आता है तो उसे न देखें।
वहीं शुरुआत में पीठ ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। लेकिन बाद में याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से उसे माफ करने के साथ ही जुर्माना हटाने का आग्रह किया। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह बेरोजगार है। जिसके जवाब में पीठ ने कहा कि वह सिर्फ प्रचार के लिए अदालत में ऐसी याचिका दायर नहीं कर सकते। हालांकि इसके बाद पीठ ने जुर्माना की राशि एक लाख रुपये से घटा कर 25,000 रुपये कर दी।