Abdul Rehman: आम आदमी पार्टी के विधायक अब्दुल रहमान ने आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि, ‘आज मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। पार्टी ने सत्ता की राजनीति में उलझकर मुसलमानों के अधिकारों को नजरअंदाज किया, अरविंद केजरीवाल ने हमेशा जनता के मुद्दों से भागकर अपनी राजनीति की। मैं न्याय और अधिकारों के लिए लड़ता रहूंगा।’ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए अब्दुल रहमान ने अपना त्यागपत्र भी शेयर किया है। इस पत्र में उन्होंने बताया है कि मुसलमानों के प्रति पार्टी की उदासीनता के कारण उन्होंने यह फैसला लिया है।
अब्दुल रहमान ने पत्र में क्या कहा?
इस्तीफा देते हुए अब्दुल रहमान ने अपने पत्र में लिखा कि, ‘मैं, अब्दुल रहमान विधायक, सीलमपुर विधानसभा, आज भारी मन से आम आदमी पार्टी की सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा देने का फैसला ले रहा हूं। यह फैसला मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन जिस तरह से पार्टी के नेतृत्व और नीतियों में मुसलमानों और अन्य वंचित समुदायों की उपेक्षा की गई है, उसके बाद यह मेरा नैतिक कर्तव्य बन गया है।’ इसके अलावा उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का कारण मुसलमानों के प्रति पार्टी की उदासीनता को बताया है। उन्होंने आगे लिखा, ‘पार्टी की स्थापना के समय मैंने इसे धर्म, जाति और समुदाय से ऊपर उठकर लोगों की सेवा करने वाली पार्टी माना था। लेकिन पिछले सालों में आम आदमी पार्टी ने बार-बार साबित किया है कि वह सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रही है और जब किसी समुदाय के अधिकारों की रक्षा की बात आती है तो पार्टी चुप हो जाती है।’
https://twitter.com/AbdulrehmanMLA/status/1866464072767529131
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‘दंगों के पीड़ितों के लिए नहीं उठाए गए कदम’
उन्होंने आगे लिखा कि, ‘दिल्ली दंगों के दौरान आपकी सरकार का रवैया बेहद निराशाजनक था। दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और न ही कोई सहानुभूति व्यक्त की गई। दंगों में झूठे आरोपों में फंसाए गए हमारे साथी ताहिर हुसैन को न सिर्फ पार्टी से निकाला गया, बल्कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया। कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली के मरकज और मौलाना साद को निशाना बनाया गया। पार्टी ने न तो इस मामले पर कोई स्टैंड लिया और न ही मुसलमानों के खिलाफ भ्रामक प्रचार का खंडन किया। हाल ही में आपने संभल दंगे जैसे संवेदनशील मुद्दे पर ट्वीट करना भी जरूरी नहीं समझा। पार्टी का दावा था कि वह ईमानदार और पारदर्शी राजनीति करेगी, लेकिन आज वह भी अन्य पार्टियों की तरह सत्ता की राजनीति में उलझी हुई है।
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