उत्तर प्रदेश में घरेलू बिजली की कीमतों में जल्द ही इजाफा हो सकता है। सोमवार को विद्युत नियामक आयोग में अलग-अलग दाखिल प्रस्ताव में बिजली दरों में औसत 15.85 प्रतिशत वृद्धि की मांग की गई है। जिसके बाद अब इस पर योगी सरकार का फैसला आना बाकी है।
कंपनियों ने बिजली की दरों में इजाफा करने का प्रस्ताव रखा
उत्तर प्रदेश के लोगो को जल्द ही महंगी बिजली का झटका लगने वाला है। बता दें कि कंपनियों ने बिजली की दरों में 18 से 23 फीसदी तक इजाफा करने का प्रस्ताव सरकार के आगे रखा है। अगर इसमे प्रस्तावित नई दरें लागू होती हैं तो ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए प्रति यूनिट बिजली की कीमत 3.50 से बढ़कर ₹4.35-(पहली 100 यूनिट) हो जाएगी। जबकि 300 यूनिट से अधिक खपत होने पर ₹5. 50 पैसे प्रति यूनिट की जगह 7 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करना होगा। उद्योगों की 16 प्रतिशत, कृषि की 10 से 12 प्रतिशत व घरेलू लाइफ लाइन उपभोक्ताओं (एक किलोवाट विद्युत लोड और 100 यूनिट प्रति माह बिजली उपभोग वाले उपभोक्ता) की दरों में 17 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव आयोग में दाखिल हुआ है।
अगले पांच वर्षों तक सात प्रतिशत प्रत्येक वर्ष कमी की जाए- विद्युत आयोग
बता दें कि बिजली खरीद का जो अनुमान है वह लगभग 134751 मिलियन यूनिट है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली कंपनियों के प्रस्ताव का विरोध करते हुए विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह तथा सदस्य विनोद कुमार श्रीवास्तव से मुलाकात कर लोक महत्व याचिका दाखिल कर दी है। उनका कहना है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों पर प्रदेश के उपभोक्ताओं का कुल 25,133 करोड़ रुपये अधिक निकल रहा है, ऐसे में बिजली दरों में एकमुश्त 35 प्रतिशत या फिर अगले पांच वर्षों तक सात प्रतिशत प्रत्येक वर्ष कमी की जाए।
औद्योगिक क्षेत्र को दी जाने वाली बिजली का प्रस्ताव
बताते चलें कि बिजली कंपनियों की ओर से एक और प्रस्ताव रखा गया था। जिसमे औद्योगिक बिजली की रेट भी बढ़ाने कि बात कही गई। एक से राज्य के विद्युत नियामक बोर्ड को भेजे गए प्रस्ताव में औद्योगिक क्षेत्र को दी जाने वाली बिजली की दरों में 16 फीसदी, कमर्शियल दरों में 12 और कृषि की दरों में 10 से 12 प्रतिशत तक इजाफा करने का प्रस्ताव दिया ।