श्रीलंका में दूसरी बार इमरजेंसी, संसद के बाहर हुआ बवाल, प्रधानमंत्री से माँगा इस्तीफा 

आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण श्रीलंका में लोगो का सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. शुक्रवार को नेशनल असेंबली में हिंसक प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने फिर से इमरजेंसी लगाने की घोषणा की है। श्रीलंका में एक महीने बाद दोबारा आपातकाल लगाया गया है। पिछली बार भी श्रीलंका में बिगड़ते आर्थिक हालात के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 1 अप्रैल को इमरजेंसी लगाने का ऐलान किया था। यह 5 दिन तक ही चला था लेकिन, प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन के बाहर जाकर डट गए, जिसकी वजह से 6 अप्रैल को इमरजेंसी हटा दी गई थी।

प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन के अलावा संसद के बाहर जम गए हैं।

संसद के बाहर लाठीचार्ज  

शुक्रवार रात संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया।  प्रदर्शनकारी लगातार संसद भवन के बाहर डटे हुए हैं। श्रीलंकाई संसद में डिप्टी स्पीकर चुनाव के बाद फिर से हंगामा शुरू हुआ है। इस चुनाव में सत्ताधारी पार्टी जीत गई, जिसके बाद प्रदर्शनकारी उग्र हो गए हैं।

श्रीलंका में संसद के बाहर करीब 80 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

प्रधानमंत्री से माँगा गया इस्तीफा

कैबिनेट मीटिंग में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे से इस्तीफा देने के लिए कहा। गोटबाया ने कहा कि अंतरिम सरकार के लिए प्रधानमंत्री पद छोड़ना होगा। लेकिन, PM कार्यालय की ओर से इस खबर का खंडन किया गया है।

भारी हंगामे के बीच राष्ट्रपति गोटबाया ने प्रधानमंत्री से इस्तीफा देने के लिए कहा है।

विपक्ष ने माँगा राष्ट्रपति से इस्तीफा


श्रीलंका में फिर से इमरजेंसी की घोषणा के बाद विपक्ष ने फिर से सरकार पर हमला बोल दिया है। संसद में नेता प्रतिपक्ष साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि लोगों की आवाज दबाने के लिए इमरजेंसी विकल्प नहीं है। इसका एक ही विकल्प है, राजपक्षे का इस्तीफा।

इमरजेंसी लगने के बाद का हाल


श्रीलंका में इमरजेंसी लगने के बाद अब आम लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर भी नहीं उतर सकेंगे। इसके अलावा, किसी भी तरह का राजनीतिक कार्यक्रम बिना परमिशन नहीं हो सकेंगे। संसद में तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए स्पीकर महींदा यापा अभयवर्धना ने शुक्रवार को ही संसद 17 मई तक के लिए स्थगित कर दिया था। विपक्ष ने पुलिस की कार्रवाई का कड़ा विरोध किया था.

(By: ABHINAV SHUKLA)

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