नई दिल्ली आनलाइन डेस्क। Shyam Benegal Death News समानांतर सिनेमा के पुरोधा श्याम बेनेगल ने 90 साल की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सच्चाई को रूपहले पर्दे पर उतारने वाले फिल्मकार के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिग्गज हस्ती को श्रद्धांजलि दी। श्याम बेनेगल के शानदार फिल्मकार के साथ-साथ उम्मा राइटर थे। उन्होंने 1974 में आई फिल्म अंकुर से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा था। अपनी पहली ही फिल्म में उन्होंने तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। या फिल्म नारी सशक्तिकरण और समाजिक मुद्दों पर अधारित थी। इस फिल्म ने उन्हें इंटरनेशनल स्तर पर पहचान दिलाई।
किडनी की बीमारी से थे ग्रसित
मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक श्याम बेनेगल का 23 दिसंबर को शाम 6.38 बजे निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे।
श्याम बेनेगल कथित तौर पर किडनी संबंधी समस्याओं से भी पीड़ित थे। दो दिन से वे कोमा में थे और सोमवार शाम इलाज के दौरान उन्होंने आखिरी सांस ली। बेटी पिया बेनेगल ने बताया, वे लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। दो साल पहले उनकी दोनों किडनी खराब हो गई थीं। उसके बाद से उनका डायलिसिस के साथ इलाज चल रहा था। बेटी ने बताया कि पिता का अंतिम संस्कार मंगलवार की शाम को किया जाएगा। बता दें, श्याम बेनेगल के नाम सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड है। उन्हें 8 फिल्मों के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
हैदराबाद में हुआ था जन्म
श्याम बेनेगल का जन्म 14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद में हुआ था। हैदराबाद की ओसमानिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक करने वाले श्याम बेनेगल ने आगे जाकर हैदराबाद फिल्म सोसाइटी की स्थापना की। श्याम बेनेगल का संबंध कोकणी बोलने वाले चित्रपुर सारस्वत परिवार से था। श्याम बेनेगल का असली नाम श्याम सुंदर बेनेगल था। जब केवल 12 वर्ष के थे, तब उन्होंने फोटोग्राफर पिता श्रीधर बी बिगेनल के कैमरे से पहली फिल्म शूट की थी। अंकुर से कॅरियर की शुरूआत करने वाले श्याम बेनेगल ने अन्य उल्लेखनीय फिल्में आमजन तक पहुंचाई। जिसमें निशांत, मंथन, भूमिक और सरदारी बेगम शामिल है। मंथन पहली ऐसी फिल्म थी जो दर्शकों के आर्थिक सहयोग से बनी और डेरी आंदोलन पर आधारित थी। उनकी फिल्मों की सबसे बड़ी खूबी ये है कि वह आमलोगों के जीवन की सच्चाई और उनके संघर्षों को प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत करती हैं।
घर बैठा गंगा फिल्म से कॅरियर की शुरूआत
श्याम बेनेगल ने 1959 में बतौर काॅपी राइटर मुम्बई बेस्ड ऐड एजेंसी लिटास एडवरटाइजिंग से कॅरियर की शुरूआत की थी। 1962 में उन्होंने पहली डाॅक्युमेंट्री फिल्म घर बैठा गंगा बनाई जो गुजराती भाषा में थी। श्याम बेनेगल ने भारतीय सिनेमा को शबाना आजमी, स्मिता पाटिल, नसीरूद्धीन शाह, ओमपुरी, अमरीश पुरी, अनंतनाग जैसे महान एक्टर दिए। फिल्मों के अलावा दूरदर्शन पर आने वाले मशहूर सीरियल भारत एक खोज, संविधान, कहता है जोकर और कथा सागर का निर्देशन श्याम बेनेगल ने ही किया था। श्याम बेनेगल को 2005 में दादा साहब फाल्के आवार्ड से सम्मानित किया गया था। 1976 में पदमश्री और फिर 1991 में पदमभूषण से सम्मानित किया गया। श्याम बेनेगल ने 10 दिन पहले ही 14 दिसंबर को अपना 90वां जन्मदिन मनाया था।
भारत रत्न के दावेदार
बिमल रॉय, सत्यजित राय जैसे दिग्गज फिल्ममेकर्स की धारा की आखिरी कड़ी और समानांतर सिनेमा के पुरोधा श्याम बेनेगल को लेकर भारत रत्न दिए जाने की मांग उठती रही। जिस पर सरकार का ध्यान नहीं गया। निस्संदेह श्याम बेनेगल की शख्सियत और योगदान भी भारत रत्न के योग्य है। उनकी तबीयत आज से नहीं बल्कि करीब 4-5 साल से ठीक नहीं थी। इसके बावजूद उनके भीतर सिनेमाई जुनून कुछ इस कदर रचा बसा था कि 90वां जन्मदिन पर भी उन्होंने कुछेक फिल्में बनाने की बात कही थी। यह हाल तब था जब अपनी हालिया फिल्म मुजीब-दी मेकिंग ऑफ ए नेशन की बनाने के दौरान और भी बीमार पड़ गए थे। लेकिन कोरोना काल और खुद की बीमारी में ही उन्होंने फिल्म पूरी की।
मुजीब फिल्म ने रचाा कीर्तिमान
श्याम बेनेगल ने अपनी लाइफ में मंथन से लेकर तमाम ऐसे प्रोजेक्ट्स पूरे किये जो काफी जटिल थे, लेकिन उनकी आखिरी फिल्म मुजीब कई कारणों से अहम हो जाती है। 85 साल की उम्र में उन्होंने मुजीब फिल्म को बनाया। फिल्म बांग्लादेश बनने की कहानी कहती है। फिल्म बांग्लादेश के निर्माता शेख मुजीबुर्रहमान के संघर्ष और बलिदान की गाथा प्रस्तुत करती है। बांग्लादेश में इस फिल्म को देखने के बाद सिनेमा हॉल में लोग रोते देखे गए। मुजीब फिल्म बांग्लादेश फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (बीएफडीसी) और भारत सरकार के नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएफडीसी) की साझेदारी में बनी थी।
मुजीब फिल्म में बांग्लादेश के एक्टर्स
दोनों देशों में साल 2018 में समझौता हुआ था। 83 करोड़ रुपए के बजट से यह बननी शुरू हुई लेकिन कोरोना के दौरान अटक गई। हालात ठीक होने के बाद शूटिंग शुरू हुई। 2020 में बंगबंधु जन्म शताब्दी वर्ष पर इसे बन जाना था, लेकिन पहले कोरोना और फिर श्याम बेनेगल की तबीयत खराब होने के चलते फिल्म 13 अक्तूबर, 2023 में बांग्लादेश में और भारत में 27 अक्तूबर, 2023 को रिलीज हुई। फिल्म में करीब 150 से ज्यादा कलाकार थे जिनमें सौ से ज्यादा कलाकार बांग्लादेश के थे। वैसे एक तथ्य तो यह भी है कि मुजीब को लेकर की गई लगातार दिन रात की मेहनत में ही उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ती चली गई।