Leela Chitnis first educated actress of Bollywood : फिल्में ना सिर्फ़ हमारा मनोरंजन करती हैं, बल्कि कई बार हमें जिंदगी के अहम सबक भी देती हैं। पुराने जमाने में, जब लड़कियों की पढ़ाई को ज़रूरी नहीं माना जाता था, उस दौर में एक महिला ने पढ़ाई के साथ-साथ फिल्म इंडस्ट्री में भी नाम कमाया। यह बात हो रही है बॉलीवुड की पहली पढ़ी-लिखी एक्ट्रेस लीला चिटनिस की।
लीला चिटनिस ने न सिर्फ़ फिल्मों में काम किया, बल्कि कई सामाजिक संदेश देने वाली फिल्मों का हिस्सा बनकर दर्शकों का दिल भी जीता। वह भारत की पहली एक्ट्रेस थीं जिन्होंने लक्स साबुन के विज्ञापन में काम किया। यह उस दौर की बात है जब फिल्मी हीरोइनों को एडवर्टाइजमेंट मिलना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी।
शिक्षित परिवार से ताल्लुक, फिर भी अलग राह चुनी
लीला चिटनिस एक पढ़े-लिखे परिवार से थीं। उनके पिता एक अंग्रेज़ी के प्रोफेसर थे। पिता की तरह ही लीला ने भी पढ़ाई में दिलचस्पी ली और आर्ट्स में डिग्री हासिल की। यह वह समय था जब लड़कियों की पढ़ाई को महत्व नहीं दिया जाता था। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मराठी थिएटर से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की सिर्फ 15 साल की उम्र में उनकी शादी एक डॉक्टर से हुई और उनके चार बच्चे भी हुए। लेकिन शादी ज्यादा समय नहीं चली और तलाक के बाद लीला ने टीचर की नौकरी शुरू कर दी ताकि अपने बच्चों को पाल सकें।
फिल्मों में कदम और सुपरहिट जोड़ी
लीला चिटनिस ने 1935 में फिल्मों में काम करना शुरू किया। लेकिन उन्हें पहचान मिली 1937 में आई फिल्म ‘जेंटलमैन डाकू’ से। इसके बाद उनकी जोड़ी मशहूर अभिनेता अशोक कुमार के साथ बनी और दोनों ने ‘आज़ाद’, ‘बंधन’ और ‘झूला’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में साथ काम किया। करियर के ऊंचाई पर रहते हुए लीला चिटनिस को लक्स साबुन के विज्ञापन का ऑफर मिला और वह लक्स की पहली इंडियन ब्रांड एम्बेसडर बनीं। हीरोइन के तौर पर कई हिट फिल्में देने के बाद उन्होंने मां के किरदारों में भी अपनी खास पहचान बनाई। उन्होंने ‘शहीद’ फिल्म में दिलीप कुमार की मां का किरदार निभाया, जिसे खूब सराहा गया।
अमेरिका में अंतिम जीवन
लीला चिटनिस ने 1980 के दशक तक फिल्मों में काम किया। उसके बाद उन्होंने फिल्मों को अलविदा कहा और अपने बच्चों के साथ अमेरिका में बस गईं। वहां उन्होंने अपनी ज़िंदगी शांति से गुजारी।
लीला चिटनिस ने एक ऐसे समय में फिल्मों में नाम कमाया, जब महिलाओं के लिए पढ़ाई और करियर दोनों मुश्किल थे। वह न सिर्फ़ पहली पढ़ी-लिखी एक्ट्रेस बनीं, बल्कि सामाजिक संदेशों वाली फिल्मों में भी अपनी छाप छोड़ी।