मुम्बई : सूत्रो से पता चला है की सीरीज ‘गुल्लक 3’ की सफलता के बाद, ‘अन्नू’ उर्फ एक्टर वैभव राज गुप्ता कुछ दिनों के लिए सोशल मीडिया से ब्रेक लेना चाहते है। दरअसल, इस सीरीज की तारीफ सोशल मीडिया पर जमकर हो रही हैं, कई मीम्स भी बने हैं जिसे बार-बार अपने स्क्रीन पर देखकर वह थक चुके हैं। एक ख़ास बातचीत में उन्होंने ‘गुल्लक’ की सक्सेस, अपने स्ट्रगल की कहानी और आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में बताया है.
उन्होंने ऑडियंस का शुक्रगुजार करते हुए अपने बयान में बोला की ‘जिस तरह का रिस्पांस ‘गुल्लक’ को मिल रहा हैं वो काफी शानदार है। अच्छा लग रहा हैं हालांकि सच कहूं तो मैं इस तारीफ से अब थक गया हूं। सोशल मीडिया पर इसके मीम्स बन रहे हैं, काफी तारीफें मिल रही हैं। जिसे बार-बार स्क्रीन पर देखकर थक गया हूं। कुछ वक्त के लिए सोशल मीडिया से ब्रेक लूंगा। ऐसा बिलकुल नहीं की ये तारीफें अच्छी नहीं लगती, बस अब थोड़ी थकान महसूस हो रही है। बतौर एक्टर अब मैं इससे आगे बढ़ना चाहता हूं। कुछ नया पढ़ना, सुनना चाहता हूं, कोशिश जारी है। हां, ऑडियंस के प्यार के लिए मैं हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा’
उन्होंने अपने सक्सेस के पीछे की कठिन परिस्थिति को व्यक्त करते हुए बताया की ‘जब मुंबई आया तब मैं कॉल सेंटर ज्वाइन करना चाहता था। उस वक्त ये सोचकर ही खुश हो जाता था की AC में बैठूंगा, इंग्लिश बोलूंगा और सैलरी भी अच्छी मिलेंगी। हालांकि जब भी इंटरव्यू देने जाता, मेरा सेलेक्शन होता ही नहीं। दूसरी तरफ थिएटर में पैसे नहीं थे और जाहिर है पैसे की जरूरत भी थी। दरअसल, मैं मुंबई के लोकल ट्रेन में सफर किया करता था और उस वक्त मैंने कुछ लड़कों को स्टेशन पर ‘ग्रीनपीस’ नाम का एक NGO का पैम्पलेट बांटते देखता था।
उस वक्त मैंने इस NGO के लड़कों से कंपनी की जानकारी ली और इंटरव्यू दिया। दूसरे दिन से ही मैं रेलवे स्टेशन पर काम करना शुरू कर दिया। वो मेरा सबसे कठिन जॉब था क्योंकि प्लेटफार्म पर लोगों को रोक-रोककर इस NGO के बारे में बताना था। मैंने तकरीबन 6 महीने तक काम किया था जिसके लिए मुझे 8000 रूपए प्रति महीने मिलते थे। हालांकि मैंने थिएटर कभी नहीं छोड़ा। सुबह रेलवे स्टेशन पर काम करता और शाम को रिहर्सल अटेंड करता था’।
‘गुल्लक 4’ आ सकती है
‘गुल्लक 4’ पर बातें चल रही हैं हालांकि अब तक हमने कुछ फाइनल नहीं किया हैं। ऑडियंस के लिए हम इसे फिर से जरूर लाना चाहते हैं। उम्मीद करता हूं कि ऐसा कुछ हो और हम जल्द ही इसकी अनाउंसमेंट करें।

परिवार चाहता था की CA की पढ़ाई करूं
मेरा परिवार आर्ट और कल्चर से जुड़े हुए हैं, मेरे दादा सीतापुर, उत्तर प्रदेश में एक नामचीन पेंटर थे। मुझमे भी पढ़ाई से ज्यादा आर्ट का कीड़ा ज्यादा था हालांकि अपने करियर के लिए निःसंदेह था। 2007 में हमारे शहर में मिस्टर सीतापुर प्रतियोगिता हुआ था। उस दौरान, उस प्रतियोगिता का स्टेज देखकर मेरे इमोशंस काफी बदल गए। वहीं से मेरा मॉडलिंग का सफर शुरू हुआ। वहीं दूसरी तरह, मेरे पिता चाहते थे की मैं लखनऊ से CA की पढ़ाई करूं।
मैं वो बिलकुल नहीं करना चाहता था। काफी जांच-पड़ताल करने के बाद, मैं मुंबई मास कम्युनिकेशन करने आया। मेरे एक फ्रेंड के कहने पर थिएटर ज्वाइन किया। मेरा पहला प्ले था अग्नि और बरखा जोकि काफी हिट था। यहीं से मेरी एक्टिंग का सफर शुरू हुआ।
(By: ABHINAV SHUKLA)