आपको बता दें 18 जुलाई से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हो रही है..जानकारी के मुताबिक इस सत्र के दौरान पारिवारिक न्यायालय विधेयक 2022 लाए जाने की संभावना जताई जा रही है.. दरअसल पारिवारिक न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र पर प्रश्नचिह्न के परामर्श से राज्य सरकारों क्षेत्र के अधिकार में आते है..
वहीं पारिवारिक न्यायालय अधिनियम 1984 में राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के परामर्श से परिवार अदालत की स्थापना का प्रावधान है.. ताकि सुलह को बढ़ावा दिया जा सके और विवाह और पारिवारिक मामलों से संबंधित विवादों का तुरंत निपटारा किया जा सके..
दरअसल केंद्र सरकार की एक अनिवार्य अधिसूचना के अभाव ने दो राज्यों में विवाह संबंधी विवादों के शीघ्र निपटारे के लिए स्थापित पारिवारिक न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है..
जिस भी राज्य में ऐसी अदालतें स्थापित है..उनमें पारिवारिक न्यायालय अधिनियम 1984 के प्रावधानों को लागू करने के लिए केंद्र सराकर की अधिसूचना की आवश्यकता होती है.. लेकिन ऐसी तीन अदालतों को संचालित करने वाले हिमाचल प्रदेश में ऐसी अधिसूचना जारी नहीं की गई थी..
साथ ही कानूनी कठिनाई को दूर करने के लिए हिमाचल प्रदेश और नगालैंड सरकार पारिवारिक अदालतों में न्यायिक अधिकारियों और अदालत के कर्मचारियों की नियुक्ति को मान्य करने में मदद करने के लिए एक विधेयक ला रही है..